व्यंग्य-सुरेन्द्र रावल

हम फिर चूक गये पहले भी ऐसा ही होता था। इस बार भी यही हुआ। पहले…

बातचीत-सुरेन्द्र रावल

‘एक मुलाकात’ व ‘परिचय’ श्रृंखला में इस तथाकथित पिछड़े क्षेत्र से जुड़े हुए और क्षेत्र के…

सुरेन्द्र रावल की कविता

वह वृक्ष वह वृक्ष, जिसमें बनाए थे पंछियों ने घोंसले, वह वृक्ष, अब बदल गया है।…

व्यंग्य-सुरेन्द्र रावल-अंग्रेजों की जूठन

अंग्रेजों की जूठन सुना है, अंग्रेजों का भारत से जाने का कोई इरादा न था। कभी…

व्यंग्य-सुरेन्द्र रावल-मेरी सड़क

मेरी सड़क मुझे लगातार लग रहा है कि मेरी सड़क के प्रति पुरातत्ववेत्ताओं की उपेक्षा कोई…