बढ़ते कदम-शुचिता झा

शबनमी अहसास ओस से भरकर छलकती आसमांॅ की प्यास दूर बिखरा हवा में शबनमी अहसास. पर्वतों…

बढ़ते कदम-पूजा देवांगन

बस्तर की आवाज खामोशी छाई है हरपल यहॉं चारो ओर अंधेरा है. नक्सलवाद का डंका है…

नयी कलम-रेखराम साहू

चला जाऊंगा मैं कभी चला जाऊंगा मैं कभी शहर तेरा ये छोड़कर नहीं आऊंगा फिर यहां…

नयी कलम -आशीष सिन्हा

ख़ामोश़ बस्तर मैं खा़मोश़ बस्तर हूं मेरे दुख को कोई क्या जाने ख़ामोश़ी मेरी बयां कर…