नयी कलम-रेखराम साहू

चला जाऊंगा मैं कभी

चला जाऊंगा मैं कभी
शहर तेरा ये छोड़कर
नहीं आऊंगा फिर यहां
दोबारा कभी मुड़कर.
सपनों की दुनिया छोड़कर
एक नयी दुनिया बसाऊंगा
टूटे हुए ख्वाब जोड़कर
एक नया ख्वाब सजाऊंगा.
लेकिन उन ख्वाबों में भी
तेरी तस्वीर नज़र मुझे आयेगी
जहां भी रहूंगा मैं
तेरी याद मुझे सतायेगी.
खुश रहना अपनी दुनिया में
तुमको कभी ना कोई ग़म हो
ले लेना मेरी भी खुशियां
अगर तुम्हारे लिए कम हो.
मिले तुम्हें वो हर मंजिल
जिसकी तुम्हें तलाश है
पूरे हो जाये ख्वाब सभी
जिसकी तुमको आस है.
मैं तो एक मुसाफिर हूं
हूं कुछ दिन का मेहमान यहां
खुद मुझको भी नहीं पता
जाऊंगा कल मैं कहां.
क्या करोगी तुम भला
मुझसे रिश्ता जोड़कर
चला जाऊंगा मैं कभी
शहर तेरा ये छोड़कर.

रेखराम साहू
शासकीय इंजीनियरींग कालेज
बायज् हास्टल
धरमपुरा -3, जगदलपुर
मो.-8878448906
म उंपसप्क्.