बस्तर पाति प्रकाशन की पुस्तकों का भव्य विमोचन
श्री विमल तिवारी जी का काव्य संग्रह ‘गीत-गुंजन’, श्री जयचन्द्र जैन जी का आध्यात्मिक आलेख संग्रह ‘विचार अपने-अपने’ और बस्तर क्षेत्र के सोलह काव्य रचनाकारों का संकलन अरण्यधारा-2 का विमोचन बस्तर के साहित्यिक आकाश में एक खगोलीय हलचल की मानिन्द आर्कषण का केन्द्र बन गया।
यह आयोजन अपने आप में विशिष्ट इसलिए भी है कि साहित्य से जुड़े अनेक लोगों को अपनी प्रतिभा साबित करने का मौका मिला, उनके अलग तेवर नजर आये। उन्होंने साहित्य की अन्य विधा में भी हाथ आजमाए। अवधकिशोर शर्मा ने विमल तिवारी के काव्य संग्रह गीत-गुंजन की समीक्षा प्रस्तुत की तो श्रीमती बरखा भाटिया ने अरण्यधारा-2 की समीक्षा प्रस्तुत की। पूनम वासम ने अपने पहले-दूसरे प्रयास में ही साबित कर दिया कि वे भविष्य की उत्कृष्ठ मंच संचालक हैं। डॉ. कौशलेन्द्र मिश्र सरीखे उच्च समीक्षक हमारे बीच हैं, यह बात भी इस कार्यक्रम से जानकारी में आयी। श्री भरत गंगादित्य द्वारा दो पुस्तकों में रेखाचित्र बनाए गये थे।
बस्तर पाति का हमेशा से नये लोगों को मौका देने और नये प्रयोग करने का सिद्धांत रहा है और यह हमेशा से सफल ही रहता है।
श्री नरसिंह महान्ती द्वारा बस्तर के प्राकृतिक सौन्दर्य पर आधारित सुन्दर मनमोहक कवर पेज डिजाइन किया गया था।
श्री राजेश थनथराटे एवं श्रीमती वीणा श्रीवास्तव के मधुर गीतो के साथ शुरू हुआ बस्तर जैसे पिछड़े अंचल के बुद्विजीवी साहित्यकारों और उनके रूचिकारों को एक सूत्र में पिरोने वाला पुस्तक विमोचन कार्यक्रम दिनांक 6.12.2015 दिन रविवार को लंबे समय तक याद रखने को मजबूर कर गया है। इस कार्यक्रम की विशिष्टता का आलम यह था कि मुख्य अतिथि डॉ. चित्तरंजन कर जो कि भाषा विज्ञान के अनेक ग्रंथों के रचयिता और 250 से ज्यादा पी. एच. डी. धारियों के मार्गदर्शक हैं रायपुर से पधारे। बस्तर क्षेत्र में नारी शिक्षा की अलख जगाने वाले विख्यात पद्मश्री धर्मपाल सेनी (डिमरापाल), रामायण महाकाव्य को पुनः रचने वाले वरिष्ठ साहित्यविद् डॉ. बी.एल.झा (जगदलपुर), वरिष्ठ साहित्यकार और अनेक रचनाकारों को तैयार करने वाले श्री चितरंजन रावल (कोण्डागांव), वरिष्ठ कवि श्री राजा बाबू तिवारी (महासमुंद), भाषा एवं बोली के ज्ञाता होने के साथ ग़ज़ल गीतों के उत्कृष्ठ रचयिता दादा जोकाल (दंतेवाडा), हल्बी भाषा के लिए समर्पित श्री हरिहर वैष्णव (कोण्डागांव), कहानी और लेख में अपनी पकड़ साबित कर चुके डॉ. कौशलेन्द्र मिश्र, तीखे हास्य और व्यंग्य के रचनाकार श्री महेन्द्र जैन (कोण्डागांव), श्री ऋषभ जैन प्रसिद्ध शिक्षाविद् (कोण्डागांव), विख्यात ग़ज़लकार श्री रऊफ परवेज़, श्री ऋषि शर्मा ऋषि, नूर जगदलपुरी, शफीक रायपुरी, याकूब नसीम (जगदलपुर), देशभक्त कवि श्री जे.पी.दानी, हल्बी, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के कवि श्री धनेश यादव (नारायणपुर), समसामायिक विषयों को जोड़कर ग़ज़ल रचने वाली श्रीमती बरखा भाटिया, अपनी विशिष्ट शैली में कविता पाठ करने वाली श्रीमती एम.दंतेश्वरी राव (कोण्डागांव), अपनी कविताओं में नयापन रचने वाली चंद्रकांति देवांगन (दंतेवाडा), अपनी विशिष्ट शैली में धमाकेदार प्रस्तुति देनेवाली श्रीमती शकुनतला शेण्डे (बचेली), प्रेम कविताओं की एक अनोखी शैली में लिखने वाली श्रीमती पूनम वासम, बीजापुर जैसे दूरस्थ इलाके में साहित्य का झण्डा फहराने वाले श्री पुरषोत्तम चंद्राकर (बीजापुर), संवेदनशील कवयित्री श्रीमती गुप्तेश्वरी पाण्डे (जैबेल), एकलव्य विद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रमोद शुक्ल (करपावण्ड) और छत्तीसगढ़ के जिलों की सीमा लांघकर हम सबका उत्साहवर्धन करने के लिए वरिष्ठ कवयित्री और समाजसेवी श्रीमती रीमा दीवान चड्ढा नागपुर से पधारी थीं।
कार्यक्रम में सम्मिलित अन्य विशिष्ट साहित्यकार थे श्री जोगेन्द्र महापात्र जोगी, श्रीमती मोहिनी ठाकुर, श्रीमती शैल दुबे, श्री शशांक शेण्डे, श्री सुरेश विश्वकर्मा, श्री सुभाष पाण्डे, श्री नरेन्द्र पाढ़ी, श्री नरेन्द्र यादव, श्री बलवीर सिंह कच्छ, खुदेजा खान, डॉ. योगेन्द्र मोतीवाला, श्रीमती सुषमा झा, श्रीमती सरिता सिंह, श्री बी.एल. विश्वकर्मा, श्रीमती पूर्णिमा सरोज, श्री बसंत चव्हाण, श्रीमती रीना जैन, प्रीतम कौर, रानू नाग, श्री हेमंत बघेल, श्री सुनील लम्बाडी, श्री भरत गंगादित्य, श्री रमेश जैन, श्रीमती गायत्री आचार्य, श्री गोपाल पोयाम, श्री जैनेन्द्रसिंह, श्री दिनेश कौशिक आदि थे।
इसके अलावा अन्य सम्मानित जन थे, श्रीमती रमारानी जैन, श्रीमती सरला जैन, श्रीमती ममता जैन, श्रीमती रमा जैन, श्रीमती कीर्ति जैन, श्रीमती मीना जैन, श्री अभय जैन आदि।
सारे दिन के कार्यक्रम में सुमधुर भोजन की व्यवस्था ने चार चांद लगा दिये। दिन भर के कार्यक्रमों की श्रृंखला में यह चौथा कार्यक्रम था।
इस कार्यक्रम में पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान से सम्मानित श्री हरिहर वैष्णव (कोण्डागांव), राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित सुश्री उर्मिला आचार्य (जगदलपुर) एवं श्री ऋषभ जैन (कोण्डागांव) का सार्वजनिक अभिनंदन भी किया गया।
इस कार्यक्रम में लाला जगदलपुरी जी को पदमश्री सम्मान देने की मांग के लिए हस्ताक्षर अभियान भी आयोजित था।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पूनम वासम (प्रथम सत्र) एवं श्रीमती पूर्णिमा सरोज (द्वितीय सत्र) द्वारा किया गया।
आभार प्रदर्शन श्री शशांक शेण्डे (सह संपादक बस्तर पाति) किया गया।
समस्त पुस्तकों की सेटिंग, कवर पेज कम्पोजिंग, डिजाइनिंग, टायपिंग, सम्पादन आदि एवं विमोचन कार्यक्रम की रूपरेखा, संयोजन एवं क्रियान्यवन मेरे द्वारा (सनत जैन, सम्पादक बस्तर पाति) किया गया था। साहित्य एवं कला समाज के बेनर के तले हुए इस भव्य एवं सफल कार्यक्रम को लंबे समय तक याद किया जावेगा।
इस आयोजन में नवोदित कवयित्री श्रीमती रीना जैन जगदलपुर द्वारा ‘बस्तर पाति’ के सम्मान में कुछ यूं कहा गया-
छह दिसम्बर दिन रविवार
बस्तर पाति का त्यौहार।
कविता कहानी और हाइकू का संसार
बढ़ रहा है साहित्य संसार।
बस्तर पाति ऐसी लगती है
जैसे हो बस्तर का चंद्रहार।
इस मेले में हो रहा
साहित्यकारों से व्यवहार।
बस्तर पाति में हो रहा हर बार
बस्तर क्षेत्र का प्रचार-प्रसार।
बस्तर पाति का यह त्यौहार
बार-बार, हर बार।
बढ़ रहा है सनत जी का कार्यभार
साहित्य सृजन करने के लिए
आप सभी का बहुत-बहुत आभार।