बस्तर पाति का विमोचन
6 अप्रेल 2014 बस्तर क्षेत्र के लिए अविस्मरणीय दिन बना और यहांॅ के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय बनकर जुड़ गया जब हिन्दी त्रैमासिक ‘बस्तर पाति’ का विमोचन, छत्तीसगढ़ और भारत देश की सीमा को लांघकर विदेशों में भी चर्चित विचारक, साहित्यविद्, समाजसेवी श्रेष्ठ वक्ता और देशबंधु समूह के स्वामी विद्धान श्री ललित सुरजन जी के हाथों हुआ. मंच पर आसीन क्षेत्र के समाजसेवी, शिक्षा की अलख जगाने वाले कवि ह्दय पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी, कोण्डागॉंव से पधारे अंचल के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री सुरेन्द्र रावल, देश के ख्यातनाम ग़ज़ल के महारथी जनाब रऊफ परवेज़ साहब और कोण्डागांव से पधारे आयुर्वेद को समर्पित समाजसेवी धारदार कवि डॉ0 राजाराम त्रिपाठी का विशिष्ट आतिथ्य इस अवसर का गवाह बना. सैकड़ों की संख्या में हमारे बस्तर क्षेत्र के साहित्य एवं कला प्रेमियों ने अपनी दमदार उपस्थिति दी. इस कार्यक्रम में कला/साहित्य से जुड़े पुराने से पुराने और नये से नये व्यक्तित्व को आमंत्रित किया गया था और उन्होंने अपनी उपस्थिति प्रदान कर ‘बस्तर पाति’ को गौरवान्वित किया.
जगदलपुर शहर के मध्य स्थित महावीर भवन के हॉल में सुबह ग्यारह बजे से कार्यक्रम के प्रथम सत्र की शुरूआत हुई. कार्यक्रम का संचालन ‘बस्तर पाति’ के संपादक श्री शशांक श्रीधर ने किया. माता रूक्मणी देवी आश्रम डिमरापाल की छात्राओं ने मधुर स्वर में अतिथिगान प्रस्तुत कर अतिथियों का स्वागत किया. इसके बाद ‘बस्तर पाति’ के प्रधान संपादक सनत जैन ने पत्रिका के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये बताया कि पत्रिका बस्तर क्षेत्र के साहित्यकारों और देश के अन्य क्षेत्रों के साहित्यकारों के बीच संवाद कायम करेगी. इस पत्रिका के माध्यम से स्कूल कालेज के विद्यार्थियों की रचनायें प्रकाशित कर उन्हें प्रोत्साहित किया जायेगा. यह भी प्रयास किया जाएगा कि विद्यार्थियों के बीच जाकर रचना प्रक्रिया भी समझाई जायेगी. उन्होंने सभी से पत्रिका के लिये साहित्यिक योगदान के साथ आर्थिक योगदान की भी अपील की.
इसके तुरंत बाद तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ‘बस्तर पाति’ का विमोचन श्री सुरजन जी द्वारा हुआ. लघु पत्रिकाओं के औचित्य पर प्रकाश डालते हुये उन्होंने कहा कि यह बात महत्वपूर्ण है कि पत्रिका प्रकाशन का साहस कर शुरूआत की गई है, चाहे जब तक इसका प्रकाशन हो. आज भी देश में एक लाख पत्रिका का प्रकाशन किया जा सकता है क्योंकि इतने लोग हैं, इतने पाठक हैं, उन तक पहॅुंच बनानी है. उन्होंने ‘बस्तर पाति’ के लिए शुभकामनाएं दीं
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अंचल के वरिष्ठ कहानीकार एवं समीक्षक श्री योगेन्द्र राठौर ने परिचर्चा ‘लोक संस्कृति के संरक्षण में आधुनिक साहित्य का योगदान’ का संचालन किया. इस परिचर्चा में श्रीमती वंदना राठौर, श्रीमती शांति तिवारी, श्री सुरेन्द्र रावल, डॉ. योगेन्द्र मोतीवाला और श्रीमती सुषमा झा ने अपने-अपने विचार रखे.
कार्यक्रम के तीसरे और अंतिम सत्र में काव्यपाठ का आयोजन था जिसमें अनेक लोगों ने अपनी रचना का सफल पाठ किया. कोण्डागॉंव एवं जगदलपुर क्षेत्र के कवियों ने अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से श्रोताओं का मनमोह लिया. सर्वश्री जनाब रऊफ परवेज़, सुरेन्द्र रावल, डॉ. राजाराम त्रिपाठी, , ऋषि शर्मा ’ऋषि’, शरदचंद्र गौड़, विमल तिवारी, डॉ. चंद्रेश शर्मा, हरिहर वैष्णव, यशवंत गौतम, हरेन्द्र पटेल श्रीमती मोहिनी ठाकुर, बरखा भाटिया ने काव्य पाठ किया. कार्यक्रम के इस सत्र का संचालन रानू नाग ने किया. उन्होंने अपने लिखे शेर और ग़ज़ल की पंक्तियों से प्रत्येक कवि का सम्मान किया.
कार्यक्रम में उपस्थित जनों में श्री मदन आचार्य, श्री बी एल झा, सुश्री उर्मिला आचार्य, श्री जगदीश दास, श्री प्रकाशचंद्र जोशी, श्री भरत गंगादित्य, श्री चितरंजन रावल, श्री नूर जगदलपुरी, श्री एम ए रहीम, केन्द्रीय जेल अधीक्षक श्री राजेन्द्र ‘रंजन’, श्री देवशरण तिवारी, श्री संतोष जैन, श्री बघेल, श्री शफीक रायपुरी, श्री श्रीनिवास रथ, श्री जोगेन्द्र जोगी, श्री अवधकिशोर, श्री राजेश मेनन, श्री के श्रीधर, डॉ. रूपेन्द्र कवि, श्री सुभाष श्रीवास्तव, श्री सुभाष पाण्डे, डॉ. राजेश सेठिया, श्री राजेश थनथराटे, श्री सुरेश विश्वकर्मा, श्रीमती ख़ादीजा खान, श्री अरविन्द बहार, श्री शमीम बहार, श्री एम के सिन्हा, श्री मुकेश जैन, श्री शैलेन्द्र यादव, श्री के पी पानीग्राही, मांगीलाल जैन, श्री किशोर टाटिया, श्री पृथ्वीराज टाटिया, श्री टीकम जैन, श्रीमती ममता जैन,श्री एम के यादव, श्रीमती जयश्री शेन्डे, श्रीमती गायत्री आचार्य, श्री के.आर. तिवारी, श्रीमती मंजू लुंकड़, कु. चंद्रकांति देवांगन, श्री अनूप जंगम, श्री होरी प्रसाद मण्डल श्री घश्याम जांगड़े, श्री रेखराम साहू, श्री जयचंद जैन, श्री आशीष राय, श्री प्रभाकर मिश्रा, श्री उमेश पानीग्राही, श्रीमती हरिप्रिया पानीग्राही, श्रीमती जयश्री जैन, श्रीमती रचना जैन, श्रीमती कीर्ति जैन, श्रीमती संध्या जैन, श्रीमती सपना जैन, श्रीमती अंजू जैन, श्रीमती रीना जैन आदि प्रमुख थे.