आलेख-आओ हाइकू लिखें

आओ हाइकू लिखें

हाइकू साहित्य की वह विधा है जिसमें हर कोई हाथ आजमाना चाहता है. पर दिग्गज भी नापास हो जाते हैं. तीन पंक्तियों में बड़ी बात कहना क्या आसान काम है ? वह भी नियम से पहली पंक्ति में पांॅच, दूसरी पंक्ति में सात और तीसरी पंक्ति में पुनः पॉंच वर्ण होने चाहिए. हां दो छूट अवश्य मिलती है हाइकूकार को, कि मात्रा चाहे जितनी उपयोग करे और अर्द्धाक्षर भी चाहे जितने लगा ले. ध्यान रखिए पांॅच सात पांॅच!
खिले थे फूल / कोई नहीं था माली / धरा बौराई
1$1$1$1$1 / 1$1$1$1$1$1$1 / 1$1$1$1$1
आपने देखा पहली पंक्ति में पॉंच ही वर्ण हैं. मात्रा पर ध्यान नहीं दिया जाता है. दूसरी में सात और फिर तीसरी में पॉंच वर्ण हैं. एक और उदाहरण लेते हैं.
गड्डी प्यार की / सरपट दौड़ी थी / स्त्री है आजाद
इस हाइकू में ध्यान देवें. अर्द्धाक्षर बहुत से हैं उन्हें न गिनें. तब पहली पंक्ति में पॉंच (गड्डी में दो पूर्ण और एक अर्द्ध, प्यार में दो पूर्ण और एक अर्द्ध). दूसरी पंक्ति में सात (सातों में पूर्ण). तीसरी पंक्ति में फिर पॉंच (स्त्री में एक पूर्ण, एक अर्द्ध).
सर्र की ध्वनि / सर्प का अहसास / सांॅप था सूंघा
इन पंक्तियों में आधा र (रेफ) का प्रयोग हुआ है. उसे भी नहीं गिना जाता है
खैर ये बातें तो हुई हाइकू की बाहरी साज-सज्जा की जिसके बिना रचना ‘हाइकू’ बनती ही नहीं. एक वर्ण इधर का उधर हुआ तो वह रचना छोटी कविता या क्षणिका में बदल जाती है. हाइकू का यह स्पष्ट मानक है.
भीख का कटोरा / उसकी है दुकान / है पहचान
उपरोक्त रचना एक पल को हाइकू नजर आती है परन्तु है नहीं. ये क्षणिका है. ध्यान से देखें; पहली पंक्ति में छः वर्ण हैं. इसे बना लिजिये हाइकू. कर दिजिये परिवर्तन.
भीख का पात्र / उसकी है दुकान / है पहचान
भीख का हाथ / उसकी है दुकान / है पहचान
अब तो आप श्रेष्ठ हाइकूकार हो ही गये हैं तो क्यों न श्रेष्ठता की परख भी कर ली जाये. आप खुद ही जांच कर लीजिए.
पप्पू न आया / उसका घर मिला / वह न मिला
टूटी थी रस्सी / खींची भी कुछ ज्यादा / जूट से बनीं
वह न आई / मना किया किसने / मान गई वो
गंदी थी बस्ती / लोग भी तो थे गंदे / गंद ही गंद
उपरोक्त चार हाइकू ध्यान से पढ़िये. आप पायेंगे कि वर्ण विन्यास तो ठीक है. एक भी गलती नहीं है. काव्यात्मकता भी है पर एक हाइकू भी ऐसा नहीं है जिसका कुछ अर्थ निकलता हो. इसलिए सभी हाइकू नहीं बकवास है. ऐसे हाइकू लिखकर पन्ने रंगने का कोई अर्थ नहीं है. हाइकू की जान तो उसके अर्थ में ही है. सीमित शब्दों में बड़ी बात कहना हाइकू कहलाता है. किसी भी वास्तविक हाइकू का एक शब्द ही इतनी ताकत रखता है कि वह हट जाये तो सारा गुड़गोबर. या फिर किसी घटिया हाइकू में एक शब्द जुड़ जाये तो घी शक्कर.
उपरोक्त चारों में से पहले का उदाहरण लें. ‘पप्पू’ शब्द हटाकर वहां ‘राम’ शब्द स्थापित कर लें.
राम न आया / उसका घर मिला / वह न मिला
इन पंक्तियों गहराई देखिये. खूब पूजा-पाठ करने के बाद भी राम यानि भगवान न आये. उनका घर यानि मंदिर मिल तो गया पर वो न मिले. पंडित तो बन गया पर व्यक्ति ईश्वर की निकटता से वंचित है. ये व्याख्या पढ़ने पर कितनी गहराई मालूम होती है जबकि पूर्व में वही हाइकू अर्थहीन था. अब दूसरे हाइकू के एक शब्द को बदलते हैं और वह शब्द है ‘जूट’. अंतिम पंक्ति में स्थित इस शब्द को ‘प्यार’ शब्द से बदलते हैं.
टूटी थी रस्सी / खींची भी कुछ ज्यादा / प्यार से बनीं
इसकी व्याख्या देखें. प्यार से बने संबंध ज्यादा खींचतान पर बिखर जाते हैं. तीसरे अर्थहीन हाइकू में ‘किसने’ शब्द का ‘पिता ने’ शब्द से बदलते हैं और जादू देखते हैं.
वह न आई / मना किया पिता ने / मान गई वो
यानि किसी प्रेम पुजारन का वर्णन है जो अपने पिता के समझाने पर घर से भागकर शादी करने की योजना पर पानी फेर देती है. चौथे हाइकू में ‘लोग’ शब्द को ‘सोच’ शब्द से बदलिये.
गंदी थी बस्ती / सोच भी तो थी गंदी / गंद ही गंद
पहले इसी हाइकू से किसी बस्ती की गंदगी का वर्णन था जो अर्थहीन सा था, जैसे ही एक शब्द बदला, हाइकू से ध्वनित हुआ कि सोच गंदी होने पर गंदगी फैल जाती है, वरना गंदगी का कोई औचित्य नहीं.
उपरोक्त विश्लेषण बताते हैं कि हाइकू के प्राण गिनती के शब्दों की गहराई में बसते हैं जिस तक पहॅुंच पाना गहरे व्यक्ति का ही काम है. इस गहराई को पाने के लिए कईयों को कई-कई दिन लग जाते हैं. और कई लोग कुछ पल भर में ही पा जाते हैं. गहरे तभी तक गहरे हैं जब वे उथलों के मार्गदर्शक हैं.
उथलापन / गहरों से है दूर / तो भी है जुड़ा
देखा आपने कि पूरा आलेख पढ़ते-पढ़ते आपने भी छः-सात अच्छे हाइकू सोच लिए. यही तो प्रयत्नशील की पहचान है. देखिये मैंने भी इस आलेख को लिखते-लिखते कितने हाइकू रच लिए. अब तो बस आपकी नज़र चाहिए.
तकदीर है / कहीं पड़ी झाडू की / वो छिपी रहे
ख़ुश्बू फूल की / फैलती चंहुओर / प्यार की सगी
जंगली फूल / ज्यादा होते सुंदर / जाने जंगली
उदास आंखें / कथा टूटे दिल की / रोता है एक

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