काव्य-सोनिका कवि

उगता सूरज

भोर होते ही उगता सूरज,
अपनी किरण की ललिमा से भर देगा.
अपनी छटा से धरती पर,
जल्द ही रंग बिखेर देगा..
जग जायें हम सुनने को,
कोयल की कुक-कुहु-कुहु.
मीठे आवाज से होगा मन,
अच्छा दिन हमारा शुरू.
घर की खिड़की खोलते ही,
सुबह की सुहानी हवा मिलेगी.
फुलवारी के फूल की कली पर,
तितली रानी इठलाती मिलेगी.
सुबह की ठंडी हवा,
कहते हैं- है लाख रूपये की दवा.
सैर पर चलें हम सुबह,
बने रहें हमेशा जवां.
आओ बच्चों चलें देखने,
उगता सूरज आने को है.
फुलवारी के फूल पर,
भौंरा गुनगुनाने को है.
आनंद उठा इस सुहानी सुबह का,
मित्र बन जाएं इस
उगते सूरज का.

श्रीमती सोनिका कवि
‘कवि निवास’
ग्राम एवं पोस्ट-मालगांव
ब्लॉक-बकावण्ड