प्रवेशांक-कविता कैसे बदले तेरा रूप

कविता का रूप कैसे बदलता है देखें जरा. नये रचनाकार ने लिखा था नवीन प्रयास था इसलिए कसौटी पर खरा नही उतरा. उसी कविता को कैसे कसौटी पर खरा उतारें-
1 घड़ी है यह
2 गोल, चैकोर, त्रिकोन
3 चपटी, आड़ी या खड़ी
4 तीन कांटों के साथ
5 काट रही है सफ़र अनंत
6 एक से बारह में बँटी
7 सेकेण्ड़ मिनिट और घंटा बताने वाली
8 सुईयां दौड़ती अपने खांचे में
9 दुनिया दौड़ती इनके पीछे
10 कैसे साधती ये दुनिया को
11 दीवार पर लटकी, खंबे पर अटकी
12 हाथ में सटकी, जेब में पटकी
13 गजब़ इनका रूआब
14 ये रूके तो दुनिया रूक जाती
इस कविता को बच्चों के बिम्ब से कैसे बड़ों के बीच ले जाते हैं देखिए. शुरू की ये चौदह पंक्तियां वही की वही रहेंगी.
1 प्रेम है अनंत इन कांटों के बीच
तब तो दूर होने के बाद भी हैं दिल से जुड़ी

2 जीवन है चलना, रूकना इसका काम नहीं
रूके तो हो गये इस दुनिया के लिए बेकार

3 एक से बारह में बँटी हैं मगर
जुड़ी है परिवार की तरह

4 दौड़ रहे हैं वे सब गरीब
जो रहते महानगर की कचरा बस्ती में
दौड़ रहे हैं वे सब गरीब
जो रहते गाँवों के बिके खेत खलिहानों के बीच
पर पकड़ नहीं पाते समय
मानों हों वे रूके हुए
5 प्रेम अनंत दुनिया की चीजों से
दुनिया के रिश्तों और नातों से
घड़ी है चलती रूकती नहीं
पर रोक नहीं पाते प्रेम के बंधन