बढ़ते कदम- डाॅ अमितेष तिवारी

किसान का गीत….

बीज फसल में परिणित कर दूं
हाथों में जब-जब मैं हल लूँ
ऊसर बंजर मरु पत्थर में
दौड़-दौड़ खेती मैं कर लूँ..
बीज फसल में….
नागर फेर नरम भू करता
जहाँ जरूरत हो जल भरता
ढेला फोड़ पलेवा देकर
धरती सेवा के बस कर लूँ…
बीज फसल में….
सीधी लीक बनाऊँ साधूं
हरियर रोपा लाकर राधूं
खिले- खिले जब खेत मिले तो
मन में हर्ष बहुत मैं भर लूँ
बीज फसल में…
पानी- कीचड़ में न झिझकता
मनोयोग से की कर्मठता
संतानों सी सेवा देकर
अन्न पूर्ण पुहुमी से वर लूँ
बीज फसल में….

 

डाॅ अमितेष तिवारी

बीजापुर  छ ग