काव्य-रजनी साहू

डायरी क्या है और उसकी भूमिका

डायरी क्या है
ऐसा कहा जाता है कि डायरी जिसमें प्रतिदिन के विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है।
डायरी जीवन की प्रिय और अप्रिय घटनाओं का संग्रह है जो आने वाले समय में मार्गदर्शन दे सकता है।
इसे आत्मकथा नहीं कहा जा सकता फिर भी इसका प्रवाह
लिखने वाले के ह्रदय के स्पंदन के साथ समानांतर चलता है।

सृष्टि में मानवीय चेतना का
एक संकल्प
एक घोषणा
शब्द संग्रह का
मुखरित स्वरूप
जो प्रेरित करते हैं एक स्वरचित एक सार्थक सृजन करने के लिए,
जो समाज को दशा और दिशा दे सके।
मेरा अंतर्मन कहता है कि कलम की धार से कर्तव्यों का निर्वाह करो तभी सच्चे अर्थों में साहित्यिकार कहलाओगे।
वह शब्द श्रृंखला
जो सर्जन करती है
जो गर्जन भी करती है
मौन की गूंज से।
किसी भी विधा में लिखो
पर लिखो
विराम कभी मत लेना।
यह सुनकर
आत्मविश्वास भरती हुई
मेरी साँसें
आकाश की तरफ निहारती हैं और
आकाशगंगा में
मेरे शब्द जगमगाएं
ऐसी आकांक्षाएँ को
मैं अनदेखा कर
मैं लिखने बैठती हूँ
डायरी के पुराने पन्नों में
कभी-कभी
अपने कोरे मन पर लगी
कटी-फटी रेखाएँ
जो किसी खरोंच की याद दिलाती हैं
उस पन्नें को पलट कर सुकून पाती हूँ।
कभी मैं
उस कालखंड में प्रवेश करती हूँ
वह क्षण
जो मुझे सबसे अधिक प्रिय हैं।

डायरी की जीवन में बहुत अहम भूमिका होती है ।
डायरी भूतकाल और भविष्य की योजनाओं के द्वंद्व के बीच की वो कड़ी है जो आत्मविश्लेषण करने के बाद
कल्पनाओं और सपनों को साकार करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
हमारी संवेदनाएँ जो हमारे चारों तरफ चक्कर लगाती हैं, वह तीव्र समय जिसकी जिज्ञासा सदा से हमारे जीवन का लक्ष्य जानने की रही है।
डायरी लिखने के बाद स्वाध्याय से
मुझे सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है।
दिनभर के प्रयासों की सराहना करते हुए
शब्दों के संतोष से
एकांत में उत्सव
स्वतः ही हो जाता है,
इस तरह अनियंत्रित जीवन की धारा को दिशा निर्देश मिलता है।
ध्यानस्थ शांत मन से बाह्य
परिवेश से तालमेल बिठाने के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मन स्वतः ही सरंचनात्मक कार्यों में लग जाता है।

कभी हम अपने विचारों और भावनाओं को शब्द का रूप दे देते हैं
कभी गीत गुनगुनाते हैं
कभी नृत्य करते हैं
कभी कोरे कागज पर इंद्रधनुषी रंग बिखेरतें है।
काश !
सभी के भीतर की सृजनात्मक शक्ति फिर से जागृत हो तो
विश्व कितना सुंदर और सुखद हो सकता है !!!!

आज फिर से मुझे लिखने की प्रेरणा देते मेरे अंतर्नाद को मैं अनसुना नहीं कर सकी।
स्वयं को स्वयं की दृष्टि में सिद्ध करने के लिए स्वयं के हस्ताक्षर कर
मैंने अपने भावों को
आपके समक्ष प्रस्तुत किया है।
कृपया मार्गदर्शन दीजिए।


रजनी साहू
बी-501 कल्पवृक्ष को.हा.सो., खांदा कालोनी सेक्टर-9, प्लाट-4
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मो.-9892096034