लघुकथा-कृष्णधर शर्मा

ट्रक ड्राइवर

जब फैक्ट्री से उसका ट्रक माल भरकर बाहर निकला तो खुशी उसके चेहरे पर साफ-साफ झलक रही थी। इसका कारण भी साफ था कि उसका नंबर लग जाने से ट्रक आज ही लोड हो गया जिसका फायदा यह हुआ कि होली का त्यौहार मनाने वह अपने घर पहुंच सकता था। वह था तो ट्रक ड्राइवर मगर स्वभाव से काफी सात्विक था यानी कि ड्राइवरों की आम बुराई
जैसे कि नशाखोरी वगैरह से काफी दूर था और गाड़ी भी बहुत संभाल कर चलाता था।
वह फैक्ट्री से अपना ट्रक लेकर निकला। आगे एक भीड़-भाड़ वाले इलाके से वह गुजर रहा था कि पीछे से एक मोटरसाइकिल सवार आ रहा था जो कि जगह काफी कम होने के बाद भी आगे निकलना चाहता था मगर अनियंत्रित हो जाने के कारण वह गिर पड़ा जिससे उसे कुछ चोट लग गई। इसमें हालांकि ट्रक ड्राइवर की कोई गलती नहीं थी मगर मोटरसाइकिल सवार के चीखने-चिल्लाने से भीड़ ने ट्रक को घेर लिया। उसमें से कुछ लोग चिल्लाने लगे कि मारो साले को, ये ट्रक ड्राइवर ऐसे ही होते हैं साले शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं और ट्रक ड्राइवर के बहुत सफाई देने के बाद भी भीड़ ने उसे ट्रक के बाहर खींच लिया और मार-मार कर अधमरा कर दिया। ट्रक ड्राइवर अब होली मनाने घर पहुंचने के बजाय हॉस्पिटल पहुंच गया।

बासी खाने का पुण्य

कल खन्ना जी के यहां शानदार पार्टी थी, जिसमें शहर के जाने-माने लोग शामिल हुए। पार्टी में देशी-विदेशी व्यंजनों की भरमार थी जिसका पार्टी में आये हुए मेहमानों ने जमकर आनंद उठाया। पार्टी के दूसरे दिन सुबह नौकर ने आकर मिसेज खन्ना से पूछा – ’मैडम कल की पार्टी का बहुत सारा खाना बचा हुआ है, उसका क्या करें’? वहीं पर खन्नाजी भी खड़े थे।
वह नौकर से बोले – ’अरे कल का बासी खाना किस काम का ! अब तक तो पूरी तरह खराब हो चुका होगा, उसे नगर निगम के कूड़ादान में डलवा दो।’ तभी मिसेज खन्ना ने टोकते हुये कहा – ’रुको मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है, खाना अभी पूरी तरह से खराब नहीं हुआ होगा। ऐसा करते हैं, पास में ही एक मंदिर है जहां पर भिखारियों की भारी भीड़ लगती है। वहीं पर ले जाकर सारा खाना हमारे नाम से बंटवा देते हैं। इस तरह से खाना भी बर्बाद नहीं होगा और हमारा नाम भी हो जायेगा। एक बात और है कि भिखारियों को खिलाने से हमें पुण्य भी मिलेगा। है ना कमाल का आइडिया मेरा! यह सुनकर खन्नाजी और नौकर भी मिसेज खन्ना की बुद्धिमता पर चकित रह गये कि मिसेज खन्ना ने कैसे एक तीर से कई निशाने लगा लिये थे!

नेताजी का भाषण

नेताजी एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उनके भाषण का विषय था- भ्रष्टाचार, बढ़ती रिश्वतखोरी, अनैतिकता आदि। उनका कहना था कि मैं इन सब बुराइयों को अपने समाज से जड़ से मिटाने के लिये कृतसंकल्प हूँ और इस काम के लिये मुझे अपनी जान की बाजी भी लगानी पड़ी तो मैं पीछे नहीं हटूंगा और मेरा एक निवेदन है आप लोगों से कि मैंने जो विदेशी हटाओ स्वदेशी लाओ आंदोलन चलाया है उसमें आप लोग भी मेरा सहयोग करें। विदेशी वस्तुओं को पराई स्त्री जैसी समझें और उनकी तरफ आंख उठा कर भी ना देखें व अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करें।
गर्मी का मौसम था नेताजी पसीने से तर-बतर हो रहे थे और प्यास से उनका गला भी सूख रहा था अतः उन्होंने अंत में सब का आभार व्यक्त करते हुए (अपनी सभा को सफल बनाने के लिये) माइक अपने जूनियर नेताजी को पकडा़ दिया और वहां से निकलकर सीधे अपनी वातानुकूलित वैन में पहुंचे जो सर्व सुविधा युक्त थी सबसे पहले उन्होंने विदेशी ब्राण्ड का ठंडा कोलिं्ड्रक पीकर अपना गला तर किया और वैन में उपलब्ध अन्य सुविधाओं का आनंद लेते हुए वह एक पांच सितारा होटल पहुंचे जहां पर कुछ बिज़नेसमैन पहले से ही उनका इंतज़ार कर रहे थे, नेताजी ने उनसे किसी फैक्ट्री के लाइसेंस वगैरह के बारे में बात की और उन्हें आश्वस्त किया कि उनका काम हो जायेगा फिर उनके द्वारा दिये हुये दोनों सूटकेस चेक किये। इसके बाद सबने मिलकर विदेशी ब्रांड की शराब के साथ पार्टी की और जब नशे ने कुछ असर दिखाना शुरू किया तो नेताजी ने उन्हें कुछ याद दिलाया तब वह व्यक्ति बाहर गये और कुछ देर में उन्होंने किसी को कमरे में अंदर धकेला और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। अंदर नेताजी अपने भाषण में बताये गये नैतिक आदर्शों की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हो गये।


कृष्णधर शर्मा
द्वारा-श्री राजेन्द्र देवांगन
पी. डबल्यू. डी पारा
अवस्थी कालोनी के सामने
गीदम, जिला-दंतेवाड़ा
पिन-494441छ.ग
मो.-9479265757