लघुकथा-शिखा यादव

बचपन


कचरा उठाती, मैले खुचैले कपड़े पहने उस ग्यारह-बारह वर्ष की लड़की से मैंने पूछा-‘‘पढ़ाई करती हो?’’ वह हंस दी। फिर मैंने पूछा-’‘कहां रहती हो?’’ वह मौन रही। मैंने उसे अच्छे से देखा, उसने गोद में लगभग दो साल की लड़की को उठा रखा था। अब मैंने पूछा- ‘‘ये बच्चे का बोझ क्यों उठा रखा है?’’ उसने तपाक से कहा-‘‘भाई है मेरा। बोझ थोड़े ही है।’’अब मौन होने की बारी मेरी थी।


कु.शिखा यादव
नर्सिंग अनुशिक्षिका
बोधनी देवी नर्सिग इंस्टीट्यूट
आकाश नगर, फ्रेजरपुर जगदलपुर
मो.-8871877692