लघुकथा-देवेन्द्र कुमार मिश्रा

हिसाब
पिता यदा-कदा कहते रहते थे-‘‘तुम्हारी पढ़ाई-लिखाई पर मेरे लाखों रूपये खर्च हो गये।’’
बेटा पढ़-लिखकर आई.पी.एस. अधिकारी बन गया। पिता ने आदत के अनुसार एक दिन गुस्से में कह दिया किसी विवाद पर।
‘‘मेरे तो लाखों खर्च हो गये तुम पर।’’
बेटे को इस बार गुस्सा आ गया। उसने चेकबुक निकालकर पिता का नाम भरा और कहा-‘‘कितने खर्च हो गये अब तक। हिसाब कर देता हूं आज। कान पक गये यही सब सुनते-सुनते।’’
पिता के चेहरे पर सन्नाटा खिंच गया।

देवेन्द्र कुमार मिश्रा
पाटनी कालोनी, भरत नगर, चंदनगांव
छिन्दवाड़ा-480001
मो. 9425405022