भाई सनत जी, नमस्कार
आपकी भेजी पत्रिका मिली। आभारी हूं। आप पत्रिका की साज सज्जा पर भी विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। यह सराहनीय प्रयास है। रचनाओं का स्तर भी थोड़ा सुधारें। कविताओं और गजलों को बाक्स में देंगे तो रचनाओं में सुन्दरता बढ़ेगी। आप पत्रिका निकालकर एक श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं। इसके लिए आपको बधाई।
नरेश कुमार उदास, वनतलाब, जम्मू, 9419768718
सनत जी, नमस्कार
आदिवासी क्षेत्र से साहित्य की मशाल जलाए रखना एक कठिन काम है। आपने अपनी सम्पादकीय टीम के साथ यह बीड़ा उठाया है। बहुत बहुत साधुवाद।
पद्मश्री मेहरून्निसा परवेज़ पर केन्द्रित अंक पढ़कर अच्छा लगा। आवरण पृष्ठ का चित्र देखकर मन गदगद हो गया। चित्रकार ने रंगों का अच्छा संयोजन किया है। चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ बहुत अरसे बाद पढ़ने को मिली। पद्मश्री धर्मपाल सेनी पर केन्द्रित अंक पढ़कर अच्छा लगा। ऐसे व्यक्तित्व के बारे में जानकारी प्रकाशित कर हम पाठकों का ज्ञानवर्धन किया। एक सत्पुरूष को समाज से रूबरू कराया है। ऐसे व्यक्तित्व को प्रणाम। डॉ सुदर्शन प्रियदर्शनी की कहानी खाली हथेली, अनुपम रचना है जो दिल को छू गई। लेखिका को साधुवाद। डॉ.शुभ्रा श्रीवास्तव की कहानी एक महिला के अंतर्द्वंद का चित्रण करती है। कविताएं बेटी का ब्याह, तुम ईश्वर की प्रतिभा हो, अनुभवों का प्र्रश्न जैसी रचनाएं पाठकों को जरूर जागृत करेंगी।
दिनेश कुमार छाजेड़, रावतभाटा, राजस्थान
नरेश कुमार जी, नमस्कार
सर्वप्रथम आपके पत्र व फोन का धन्यवाद। आप जैसे पाठक व लेखक ही ऊर्जा स्रोत हैं बस्तर पाति के। जम्मू जैसी दूरस्थ जगह से हमें आपने याद किया धन्यवाद। आपके समस्त सुझावों पर अमल किया जायेगा मेरा आश्वासन है।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति
दिनेश जी, नमस्कार
आपके द्वारा भेजे गये दो पत्रों को एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है। आपका धन्यवाद जो आपने प्रतिक्रिया स्वरूप पत्र लिखा। पद्श्री धर्मपाल सेनी जी से जब आप मिलेंगे तो आपको पता चलेगा कि वे कितने सरल स्वाभाव के हैं। जितना सरल उनका व्यक्तित्व है उतना ही गहरा उनका ज्ञान है। उनकी कविताओं में जबरदस्त दर्शन है। उनके ऊपर केन्द्रित अंक निकाल कर हम लोगों स्वयं को गौरवान्वित किया है। ऐसे सरल व्यक्ति को सादर नमन।
डॉ. सुदर्शना प्रियदर्शनी जी की कहानी जब मैंने ई मेल पर पढ़ी तब ही मैंने मान लिया था ये कहानी मील का पत्थर साबित होगी। और वही हुआ कई फोन और ईमेल प्राप्त हुए। फिर एक दिन सुदर्शना जी का फोन आया। उनकी शुद्ध हिन्दी सुनकर विश्वास ही न हुआ कि वे यूएसए में रहती हैं। उन्होंने पत्रिका की तारीफ की और आश्वासन दिया कि वे रचनात्मक और आर्थिक सहयोग करेंगी।
शुभ्रा जी की कहानी अगले अंक में और आने वाली है। उनकी रचनाओं में जबरदस्त बात है। रचनाकारों के लिए पत्र आता है और मैं खुश हो जाता हूं। पूरा योगदान रचनाकार का ही है फिर भी न जाने क्यों हमें भी खुशी होती है।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति
संपादक जी, नमस्कार
बस्तर पाति का एक अंक अचानक कहीं से प्राप्त हुआ। मैंने पढ़ा और उसमें कहानी प्रतियोगिता के बारे में सूचना पढ़ी। मैंने अपनी कहानी भेजी और मुझे उस प्रतियोगिता में द्वितीय पुरूस्कार प्राप्त हुआ। उसके पश्चात मैं नियमित रूप से पत्रिका पढ़ रही हूं। इसके आलेख और कहानियां प्रभावित करते हैं। रचनाओं का स्तर काफी ऊंचा है। विषय भी सटीक हुआ करते हैं। श्रेष्ठ संपादन हेतु बधाई।
श्रीमती बकुला पारेख, इंदौर, म.प्र. 9826952602संपादक जी,
नमस्कार
कई पत्रिकाओं के साथ बस्तर पाति का अंक भी प्राप्त हुआ। परन्तु पहले बस्तर पाति को पढ़ना शुरू किया क्योंकि इससे पुराना संबंध है। बहस(कहानी के तत्वः नाटकीयता और बुनावट) पूरा पढ़ गया। कहानी और उसके आवश्यक तत्व नाटकीयता पर मुझे इससे पूर्व इतना विशद वर्णन पढ़ने को नहीं मिला था। मन विभोर हो गया। जैसी कि आदत है, लेखक को बधाई देने को सोचा, लेख के आगे पीछे, पत्रिका के अंदर सब तरफ खोजने की कोशिश की, कहीं बहस के लेखक का नाम नहीं मिल पाया। अस्तु संपादक जी के माध्यम से ही उन्हें साधुवाद देता हूं। पद्श्री धर्मपाल सेनी जी पर केन्द्रित इस अंक में उनसे संबंधित मुलाकात, आत्मकथन, और कविताएं अच्छी लगीं तथा ज्ञानार्जन भी हुआ। नरसिंह महांती के बनाए चित्र अच्छे लगे। अंकुश्री, रांची, झारखण्ड
बकुला जी, नमस्कार
आपको साधुवाद जो आपने कितनी सरलता से अपनी बात कह दी। हम लोगों की व्यस्तता के चलते आपको उस कहानी प्रतियोगिता का प्रमाणपत्र नहीं भेजा जा सका है। आपकी कहानी को पुरूस्कार मिलना ही था क्योंकि आपकी सरलता आपकी कहानी में भी तो थी। पत्र हेतु धन्यवाद।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति
अंकुश्री जी, नमस्कार
आपको आपके विश्लेषणात्मक पत्र के लिए धन्यवाद। बहस कॉलम किनके द्वारा लिखा जा रहा है, कई लोगों ने जानना चाहा। कई तो सीधे-सीधे मुझे ही बधाई दे देते हैं जबकि ये विद्वतापूर्ण लेखन मेरा नहीं है। ये लेखन जिन महानुभाव का है उन तक आपकी बात पहुंचा दी गई है। उनके पास कहानी के संबंध में हजारों पन्नों का मैटर है। उनसे बात करने बैठना यानी दो से तीन घण्टा यूं ही बीत जाना होता है। वे मेरे गुरू भी है। उनका ही आशीर्वाद है इस पत्रिका का मूर्त रूप में आना। उन्होंने ही मुझे सबसे पहले बताया था कि कहानी में ‘दिखाना’ और ‘बताना’ में क्या अंतर होता है। इस पंक्ति में कही बात समझने में ही मुझे साल भर लग गया था और वे इस समझाईश के बहाने न जाने कहानी के क्या-क्या पहलू बताते गये। कहानी लिखने वाला उन पहलूओं को कभी सोच भी पाता होगा, इसका मुझे विश्वास ही नहीं है। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कही बातों को लिपिबद्ध किया है। शायद बस्तर पाति के बीस अंकों के बाद उनके उन आलेखों पर केन्द्रित पुस्तक ही आ जाये।
नरसिंह महांती जी ऐसे कलाकार हैं जो अपनी कृतियों को अपने परिजनों को यूं ही बांट देते हैं, शायद इसलिए ही उनकी कूची और रंगों में सरस्वती का निवास है। वे एक महान चित्रकार हैं। अपने प्रचार और प्रसार से दूर। वे हमारे बस्तर की शान हैं।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति
भाई सनत कुमार जैन
आपके भेजे बस्तर पाति के अंक पढ़ जान कर प्रसन्नता हुई। प्रदेश के आखिरी कोने से आप साहित्य की मशाल जलाये हुए हैं और नये सिरे से अंचल की साहित्यिक प्रतिभाओं और वरिष्ठों को भी जोड़ने-संभालने और संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं। एक अंक आपने लाला जगदलपुरी पर केन्द्रित किया था, अच्छा लगा। नसीम आलम नारवी जी को विशेष स्थान दिया है, और इसी संदर्भ में उनके परिचय में लिखे मेरे आलेख को भी आपने प्रकाशित किया है। शुभकामनाएं व साधुवाद।
लोकबाबू, भिलाई, 9977030637
सनत जी, नमस्कार
पद्मश्री धर्मपाल सेनी जी से मुलाकात काफी दिलचस्प है। डॉ. सुदर्शना प्रियदर्शनी जी की कहानी ’खाली हथेली’ तो अंक की जान है। इतनी अच्छी कहानी आपने बस्तर पाति में प्रकाशित की, उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। नारी मन की परत खोलने वाली कहानी ने सचमुच दिल को छू लिया। डॉ. सुदर्शना प्रियदर्शनी जी को ढेर सारी बधाईयां देती हूं। डॉ.अर्चना जैन जी का दुष्यंत कुमार जी की ग़ज़लों पर आलेख विवेचनात्मक है। डॉ शुभ्रा श्रीवास्तव की कहानी ‘सजा’ अच्छी कहानी है। कविताएं भी श्रेष्ठ हैं। आगामी अंकों के लिए अग्रिम बधाईयां।
माधुरी राऊलकर, नागपुर, महाराष्ट्र
माधुरी जी, नमस्कार
आपके द्वारा भेजी गई बधाईयां मैंने सुदर्शना जी को स्केन करके यूएसए भेज दी हैं। और उनसे हुई बातचीत में भी मैंने आपका जिक्र किया था। मैं एक बात के लिए क्षमाप्र्राथीं हूं कि व्यस्तता के चलते आपके ग़ज़ल संग्रह की समीक्षा नहीं लिख पाया हूं। नागपुर से ही कमलेश चौरसिया जी का कविता संग्रह भी मिला था उसे भी पढ़कर रख दिया हूं समीक्षा नहीं लिख पा रहा हूं। पत्रिका प्रकाशन टोटली शौकिया है अतः अपनी जीवनचर्या और व्यापार के बाद ही काम कर पाता हूं।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति
लोकबाबू जी, नमस्कार
छत्तीसगढ़ के साहित्यिक आसमान के आप लोग तो स्तंभ हैं। सर आप लोगों की प्रेरणा कहीं न कहीं काम करती है, तब तो लोग अपने उत्साह को कायम रख पाते हैं। आपके इस पत्र के बाद आपकी लम्बी कहानी बस्तर पाति के अगले अंक में प्रकाशित हुई थी। आप लोगों ने छत्तीसगढ़ में अनेक लोगों को साहित्य से जोड़ने का जमीनी कार्य किया है। थानसिंह वर्मा जी से मुलाकात होने पर वे हमेशा आप जैसे विद्वानों की चर्चा करते थे। वैसे वे खुद भी साहित्य के जमीनी कार्य से जुड़े हुए हैं। यहां वे बीजापुर में काफी समय तक पदस्थ थे। हम लोग उनके सानिध्य में कई बार कार्यक्रम निर्धारित किया परन्तु किसी न किसी कारणवश वे नहीं आ पाये। एक बार प्रभात मिश्रा जी भी राजनांदगांव से जगदलपुर पधारे थे। सभी सीनियर साहित्यकारों में एक बात कॉमन पायी मैंने कि सभी लोग एकदम से सरल स्वाभाव के हैं। उन्हें देखकर, मिलकर, जानकर लगता ही नहीं कि हम ऐसे विद्वान के साथ खड़े हैं। अब एकबार आपसे भी मुलाकात करना है। आप आईये जगदलपुर। हम लोग एक बड़ा सा कार्यक्रम रखते हैं, पुस्तक विमोचन या वैचारिक सम्मेलन का जिसमें आपको सादर आमंत्रित करेंगे।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति
माननीय सनत जी,
आपके द्वारा भेजी बस्तर पाति प्राप्त हुई। आपको सहस्र धन्यवाद। इस अंक में आपने पद्मश्री धर्मपाल सेनी जी के सम्पूर्ण लाइफ फीचर, उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान की विस्तृत जानकारी, बहुमूल्य व प्रेरणास्पद लगी। साथ में आपके विद्वतापूर्ण सम्पादकीय काफी रोचक व विचारोत्तेजक लगा। दुष्यंत कुमार की गज़लों के ऊपर केन्द्रित लेख बहुत ही अच्छा है। इसी अंक में मेरे द्वारा अग्रेसित कहानी ‘खाली हथेली’(डॉ. सुदर्शना प्रियदर्शनी, ओहयो यूएसए) को भी पढ़ने मिला। आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
शिवराज प्रधान, दुस्सीपाड़ा चाय बागान, रामझोडा, प.बंगाल, 9734042876संपादक जी, नमस्कार
विख्यात शायर जगदलपुरी जी, मेहरून्निसा परवेज, रऊफ परवेज, खुदेजा खान जैसे साहित्य को नई दिशा देने वाले शहर जगदलपुर जिसकी बस्ती में आज भी रचनात्मक गूंज कायम है, से बस्तर पाति का निकलना परम्परा को सींचते रहना है। आपके सौजन्य से जो भी अंक प्र्राप्त हुए वे इस तथ्य के साक्ष्य हैं कि आपने हर विधा की रचनात्मक खुशबू से पाठकों को परिचित कराया है।
डॉ. सतीश दुबे, 766-सुदामा नगर, इंदौर, 9406852341
सतीश जी, नमस्कार
आपने ध्यानपूर्वक पत्रिका पढ़ी और उसमें प्रकाशित सामग्री पर अपने विद्वतापूर्ण टिप्पणी दी, धन्यवाद। आपने अपने पत्र में साहित्य जगत के उन नामों का जिक्र किया है जो वास्तव में हमारे क्षेत्र के विद्वान जन हैं। इन नामों में एक नाम आपने खुदेजा खान का लिखा है, वह नाम वाकयी में इस क्षेत्र के लिए विशिष्ट है। वे अपनी ग़ज़ल, कविता, कहानी, आलेख के माध्यम से अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी हैं। बस्तर पाति का अगला अंक उन पर ही केन्द्रित है। हम चाहते हैं कि बस्तर पाति का हर अंक हमारे क्षेत्र के महान साहित्यकारों पर केन्द्रित हो।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति
शिवराज जी, नमस्कार
आपका साधुवाद जो आपने हमें डॉ. सुदर्शना प्रियदर्शनी की कहानी ‘खाली हथेली’ उपलब्ध कराई। इस कहानी से हमारी बस्तर पाति को एक विशिष्ट पहचान मिली। मेरा ख्याल है कि पत्रिका समस्त सदस्यों को यह कहानी पसंद आई है। वैसे भी पत्रिका अपनी रचनाओं से पहचानी जाये ये महत्वपूर्ण होता है वरना देश में तो अनेक पत्रिकाएं उपलब्ध हैं। श्रेष्ठ रचना पत्रिका को भी श्रेष्ठता प्र्रदान करती है। आपके माध्यम से एक प्रसिद्ध व योग्य लेखिका से हमारा संपर्क हुआ। धन्यवाद। आपने उनकी एक कहानी और भेजी है। वह अगले किसी अंक में आयेगी। आप अहिन्दी भाषी होते हुए भी हिन्दी में रचनाएं लिखते हैं, ये हम हिन्दी भाषियों के लिए प्रेरणा की बात है। और विचार करने की भी।
आप के पास तो अपने क्षेत्र की अनेक ग्र्रामीण रचनाएं होंगी, आपके अनुभव होंगे उन्हें कहानी रूप देकर प्रकाशन हेतु प्रेषित करें। ये काम सबको पसंद आयेगा। वैसे भी रचनाएं, खासकर कविताएं तो गांव के हवापानी में ही होती हैं। वहां वे आप ही आप दिमाग में उभर आती हैं। हमें तो बस अपनी कलम पकड़नी होती है। रचनाएं पन्नों पर अवतरित होती जाती हैं। शेष शुभ।
सनत कुमार जैन, सम्पादक बस्तर पाति