बस्तर पाति का कवर पेज
श्री सुरेश दलई
बस्तर की उर्वर धरती अपने भीतर न जाने कितने ही बीज समेटे हुए है जो कभी नजर आते ही नहीं हैं।
समय समय पर उन बीजों का पल्लवन, पुष्पन अपनी सोंधी खुशबू से इस उपवन को महका देता है। हां, एक बात और, इस धरा की इस मिट्टी की एक खासियत और है वो है स्वयं को वन के भीतर के वृक्षों पुष्पों की तरह आम जगत से अंजान रखना। सुरेश जी उसी कड़ी के संकोची कलाकार हैं जो रचते तो बहुत कुछ हैं पर स्वयं को छिपा कर रखते हैं। उनके ब्रश और कलर साथ मिलते ही एक जीवंत कलाकृति को जन्म दे देते हैं। मूलतः पानी में घुलनशील रंगों से खेलना पसंद करते हैं। कभी कभार ब्लैक एण्ड व्हाइट से भी जादू का खेल दिखाना पसंद करते हैं। उनका मिलनसार और सहयोगी स्वभाव ही है जो उन्हें सबका दोस्त बना देता है। उन्होंने कविता में भी जोर आजमाइश की है। अगले किसी अंक में उस पर भी उनकी पकड़ देखेंगे। फिलहाल कवर पेज का आनंद लें।