पुस्तक अंश : मन्नू भंडारी जायेगा मंगल पर

 मन्नू भंडारी जायेगा मंगल पर

चारों साथ ही बैठे, सुशीला ने बड़े ही सधे हाथों से पेग तैयार किये। नेताजी की नई पत्नी ने काजू एवं मिक्चर परोसा, फ्रिज से पानी की बाटल निकाली एवं गिलास में पानी डाला।
तुम दोनों भी बना लो स्माल-स्माल मन्नू ने कहा।
हमें नहीं चाहिये, फिर अब हम लोगों को पिलाने से क्या लाभ, हम तो बिना नशे के ही उपलब्ध हैं, नेताजी की पत्नी ने ओंठों को चबाते हुए कहा।
नहीं लेना तो फिर जाओ हम दोनों को बातें करने दो, मन्नू ने कहा।
वह दोनों वाकई उठ कर बेडरूम चली गईं।
दीदी निकालो वोदका हम दोनों भी लेंगे..इन दोनों ने ठेका थोड़े ही ले रखा है मजे करने का।
सुशीला ने आलमारी से वोदका और लिमका निकाला। लगता है दोनों ने अपनी व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी। स्माल-स्माल नहीं दोनों ने पूरा पटियाला पेग बनाया और लिमका डाल कर चियर्स किया।
अब भी भाई साहब रोज पिलाते हैं क्या ? सुशीला ने पूछा।
शादी के पहले तो चोरी से कोल्ड ड्रिंक्स में मिलाकर पिलाते थे फिर मेरे नशे का बेजा इस्तेमाल करने से पीछे नहीं रहते थे पर अब कभी नहीं कहते, उल्टा कभी-कभी मेरा ही मन हो जाता है तो चुपके से ले लेती हूं।
कितने साल तक आप दोनों की कोर्टशिप चली सुशीला ने पूछा।
कोर्टशिप क्या थी, ये बस मेरे साथ मस्ती कर रहे थे, मैं भी अकल की अंधी अपना शोषण करवा रही थी। वह तो भला हो उस एम.एम.एस. का जिसके चक्कर में इनको मेरे साथ शादी करनी पड़ गई, पर अब मैं बहुत खुश हूं, ये मेरा बराबर ख्याल रखते हैं।
सब मर्द एक से होते हैं।
सब मर्द नहीं, सब नेता एक से होते हैं।
पर अब तो नेताओं की बीबियां भी कम नहीं रही, नेताजी की पत्नी ने वोदका का शिप लगाते हुए कहा।
सीधे बनकर रहें तो इनके साथ निभाना मुश्किल हो जायेगा, उससे तो अच्छा है इन्हीं के रंग में रंग जाओ। सुशीला ने कहा।
सही कहा दीदी शेर के लिए सवा शेर बनना ही पड़ता है।
मैं सांसद महोदय के निवास पर गई थी, उनसे एवं उनके परिवार से मिलकर अच्छा लगा, उनकी पत्नी वात्सल्या एवं बेटी बहुत ही अच्छे लगे। सभी नेता हमारे पतियों के समान नहीं होते। मैं उनकी पत्नी वात्सल्या जैसा बनना चाहती हूं, सुशीला ने कहा।
दीदी मैं भी यही प्रयास कर रही हूं, आज मेरे पति की पहली पत्नी के बच्चे तक मुझे सम्मान दे रहे हैं, बड़ा बेटा बारहवीं में पढ़ रहा है मुझे छोटी मम्मी कहकर बुलाता है और मेरे दिये बिना खाना तक नहीं खाता।
दोनों ने अपने सुख-दुख बांट लिये, यही दुनिया है।
इधर एक-एक पैग तक नेताजी और मन्नू में एक शब्द तक बात नहीं हुई। मन्नू ने एक-एक पैग और तैयार कर दिया।
उसने नेताजी से कहा भाई साहब मुझे समय से पहले बहुत कुछ मिल गया, मैं आपका राजनीतिक प्रतिद्वंदी नहीं बनना चाहता। अभी मुझे विधायक बनने की जल्दी नहीं है। मंत्री का ओहदा हासिल कर ही लिया है। पर यदि आप सांसद का चुनाव लड़ेंगे तब ही मैं आप की जगह यहां से विधायक का चुनाव लडूंगा।
क्या बताऊं भाई संसद में सब अंग्रेजी में बात करते हैं और मुझे अंग्रेजी का ‘आ’ भी नहीं आता। मैं तो पिछले चुनाव में ही सांसद बन गया होता। पर अब तैयार हूं। देखो मेरे पास एक योजना है, पहले विधानसभा चुनाव होने हैं, मैं विधानसभा का चुनाव लडूंगा, तुम मेरा समर्थन करना। मुझे मंत्री बना दिया गया तब तो ठीक है, नहीं तो छह माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव मैं लडूंगा, तुम मेरे द्वारा खाली की गई विधानसभा की सीट से चुनाव में खड़े होना।
यदि आप को मंत्री बना दिया गया तब ?
तुम्हे लोकसभा चुनाव लड़ायेंगे।


शरदचंद्र गौड़
सौरभ निवास
पथरागुड़ा
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