पूर्णचंद्र रथ की कविता

सौदा

घर और बाहर
गूंज रहे प्रार्थनाओं के स्वर
उधर सिरफिरे चंद, लुटेरे यहां
वापसी की व्यवस्था से
बांट रहे खुशनुमा धरती
मन की बातों से
यकीन करो
किसानों, बच्चों की
मासूमीयत के सौदागर
सभी उन्मादी कौमी हैं
(मोबाइल पर मिला काव्य)

पूर्णचंद्र रथ
भोपाल मो.-08821806990