वाट्सन-वायसन डॉट कॉम-सनत सागर

 

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दिनांक-24 जुलाई 2022
(समाज के कुछ प्रश्नोत्तर )
लेखक- सनत सागर, संपादक बस्तर पाति त्रैमासिक


योग्यता


’यार! तुम तो राजनीति के एक नंबर के जानकार हो। तुम किसी पार्टी के प्रवक्ता क्यों नहीं बन जाते ? बढ़िया टेलीविजन में आने को मिलेगा। ढेरों प्रसिद्धी मिलेगी। नाम होगा।’ कबीर के लिये तारीफ से लबरेज शब्द थे। प्रत्युत्तर में कबीर हंस कर बोला।
’भाई साहब! आपका राजनीति का कितना भी ज्ञान क्यों न हो अगर आप थेथर नहीं हैं तो आप पार्टी प्रवक्ता नहीं बन सकते। अगर आपका स्वभाव सीधा है तो आप पार्टी के प्रवक्ता बन ही नहीं सकते।’
कबीर के ऐसा कहते ही सागर का चेहरा प्रश्नवाची हो गया। चाय का घूंट पीते हुये पूछा ’ऐसा क्यों ?’
कबीर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला -’तुमने शायद ध्यान से नहीं देखा है। प्रवक्ता अपनी बात रखने कम बोलते हैं वो सिर्फ सामने वाले की सही बातों को हल्ला करके डिस्टर्ब करते हैं ताकि जनता के मन में कनफ्यूजन बना रहे। जनता सबकुछ जानकर कोई विचारधारा न ग्रहण कर ले। जैसे ही दूसरी पार्टी का प्रवक्ता अपनी बात ढंग से समझाने लगता है तो पहली पार्टी का प्रवक्ता उलजुलूल बातें करने लगता है। खुद को मूरख साबित करके भी वो जनता का ध्यान भटका ही देता है। मुद्दे से हट कर खुद को बड़ी आसानी से बेवकूफ साबित कर लेता है। जनता इस बात को जान जाती है। फिर भी वह ये नहीं समझ पाती कि ऐसी बेवकूफी से वह प्रवक्ता आखिरकार उसका ध्यान बेमतलब की बातों की ओर मोड़ दिया है। इसे कहते हैं नेरेटीव सेट करना।’
’अच्छा! यार इस विषय पर सचमुच मैंने सोचा ही नहीं। ऐसा ही होता है। हम मुख्य चर्चा से हटकर उस प्रवक्ता की बेवकूफी पर ही चर्चा करने भिड़ जाते हैं।’ सागर अपनी चाय का खाली कप कचरा बाल्टी में फेंकते हुये बोला।
’एक बात और…’ कबीर उसे रोकते हुये बोला।
’क्या ?’
’आजकल कुछ वक्ता योजनाबद्ध ढंग से झूठ फैलाने आते हैं। वो एक ही बात कई चैनल में कहते हैं। जब सामने वाला एंकर या दूसरी पार्टी का प्रवक्ता उसका सबूत मांगता है तब वो गाली गलौच करने लग जाते हैं। जनता के दीमाग में झूठ का बीज डालकर डिबेट को छोड़कर भाग जाते हैं। और ज्यादा हुआ तो कुछ समय बाद कोर्ट में माफीनामा लगा कर हंसते हैं। क्योंकि उनके झूठ से जो नुकसान होना होता है वह हो चुका होता है। इसलिये कहता हूं मैं कि पार्टी प्रवक्ता होने के लिये राजनीति का ज्ञान नहीं बल्कि थेथराई आनी चाहिये।’ अबकी बार वह भी अपनी चाय का खाली कप कचरा डिब्बा में फेंक कर अपने रास्ते चला गया।