काव्य-नज़्म नफरत निकाल के-ज़ाल अन्सारी

नज़्म नफरत निकाल के

दोस्ती का फूल
ये बेमिसाल हैं
इस फूल को यारा
रखना संभाल के।
आंखों का चैन हो
दिल का क़रार भी
मिलते नहीं मीत
तेरी मिसाल के।
इंसान हो अगर
इंसान की तरह
प्यार करो दिल से
नफरत निकाल के।
लम्बा है सफर ये
मुश्किल है डगर भी
हरेक क़दम अपना
रखना संभाल के।
लफ़्जों का हार है
ये ख़त के रूप में
दिल से लिखा इसे
पढ़ना संभाल के।

ज़ाल अन्सारी
नई सदर तहसील रोड,
78, शेख चांद, पीलीभीत-262001
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