काव्य-वर्षा रानी-विजय वर्धन

वर्षा रानी

फिर आयी ऋतुओं की रानी
वर्षा रानी, वर्षा रानी।
गर्मी ने था खूब सताया
रौद्र रूप अपना दिखलाया
वर्षा ने जब जल बरसाया
दूर हुई उसकी मनमानी
फिर आयी ऋतुओं की रानी
वर्षा रानी वर्षा रानी।
झिर-झिर पानी बरस रहा है
अन्तस्थल तक सरस रहा है
भर गये नदी, ताल धरती के
सब में आई नई रवानी
वर्षा रानी, वर्षा रानी।
जीवों में नव-जीवन आया
ऊर्जा से जीवन भर आया
हरे-भरे सब पेड़ हो गये
दूर हुई सबकी वीरानी
वर्षा रानी, वर्षा रानी।


विजय वर्धन
लहेरीटोला,
भागलपुर, बिहार
मो.-92045642724