काव्य-मां का रिश्ता-प्रा.डॉ.प्रकाश वि. जीवने

मां का रिश्ता

मां के आगे कोई छोटा न बड़ा
ईश्वर भी होते उसके आगे एक बच्चा
आज की स्वार्थ भरी दुनिया में
मां का रिश्ता ही सबसे सच्चा।

रिश्ता कोई मायने नहीं रखता
मतलबी दुनिया में काम से वास्ता
होते सब झूठे रिश्ते नाते
मां ही होती सिर्फ वास्तविकता।

जीवन में सफलता पानी हो तो
मां के चरणो की पूजा करो
मां के ममतामयी स्नेह के आगे
शहनाई की धुन भी फीकी लगती।

मां द्वारा गायी मीठी लोरी
शांत शीतल लहर की ठंडक लगती
सदा ही कानों में मां की आवाज गूंजती
प्रेरणा की एक देवी दिखायी देती।

प्रा.डॉ.प्रकाश वि. जीवने
158, चंडिका नगर नं.-2 मानेवाडा बेसा रोड, नागपुर-440027
मो.-9420300854