फैसला-दिनेश कुमार छाजेड़

फैसला

फैक्ट्री मैनेजर ने कर्मचरी राकेश को अपने चेम्बर में बुलाया। मैनेजर ने राकेश को कहा,-’’सुना है तुम लेख लिखते हो, कविताएं भी मजदूरों की सभा में सुनाते हो। तुम को मालूम है तुम्हारे कारण फैक्ट्री का माहौल बिगड़ रहा है।
तुमको यहां पर काम करने की तनख्वाह मिलती है। फैक्ट्री का माहौल बिगाड़ने का शौक है तो दूसरी नौकरी ढूंढ लो। तुम्हें सोचने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया जाता है।’’
राकेश सिर झुका चैम्बर से बाहर निकला। अपने ड्यूटी प्वाइंट पर बैठा-बैठा सोचता रहा। शाम को शीघ्र ही घर लौट आया।
घर पर पहुंचते ही परिवार के सदस्यों के भावों को देखा। बुजुर्ग मां-बाप, कुंवारी दो बहनों की शादी की चिन्ता, बच्चों के भविष्य की रूपरेखा दिमाग पर बनने-बिगड़ने लगी।
आखिरकार उसने मन ही मन एक कड़ा फैसला किया। अपनी तमाम रचनाओं को एक़ किया। उसमें आग लगा दी।
पत्नी आश्चर्यचकित होकर पूछी,-’’ये क्या किया ?’’
राकेश ने सीधे जवाब दिया,-’’एक लेखक को मैंने खत्म कर दिया।’’

दिनेश कुमार छाजेड़
ब्लॉक 63/395
भारी पानी संयंत्र कॉलोनी
रावतभाटा, जिला-चित्तौड़गढ़
राजस्थान-323307