लघुकथा-अशोक आनन

खुशियां
मिसेज खन्ना जब इस बार दिल्ली गईं तो उन्हें जाने क्या सूझी….पार्वती की बिटिया के लिए भी कुछ खिलौने खरीद लाईं।
खिलौने देखते ही मां-बेटी की बांछें खिल गईं। दोनों अपने भाग्य को सराहने लगीं।
लाड़ों ने खुशियां बिखेरते हुए कहा-‘‘थेक्यू आण्टीजी!’’ और वह खिलौनों से खेलने में रम गई।
पार्वती उनके अहसान तले इतनी दब गई कि अपनी मालकिन से हाथ जोड़कर सिर्फ इतना ही कह सकी-‘‘मेमसाब! सचमुच आप बहुत महान हैं। आपका दिल बहुत बड़ा है। आप हमारी खुशियों का कितना ख़्याल रखती हैं।’’
लेकिन पार्वती की सारी खुशियां उस समय काफूर हो गईं जब मिसेज खन्ना ने पहली तारीख को उसका हिसाब करते हुए उसे पचास का नोट थमाया और कहा-‘‘पारो! साढ़े चार सौ रूपये मैंने खिलौनों के काट लिए हैं।’’

अशोक ‘आनन’
मक्सी-465106
जिला-शाजापुर
मो.-9981240575