कविता का रूप कैसे बदलता है देखें जरा। नये रचनाकार ने लिखा था, नवीन प्रयास था इसलिए कसौटी पर खरा नहीं उतरा। उसी कविता को कैसे कसौटी पर खरा उतारें-
कुंआ
कुंआ हमेशा आबाद रहता है
गांव का हर घर वहां आता है
यदि कोई बीमार हो तो
पता चल जाता है वहां आते ही
किसी की लड़की का ईश्क
यहां पर आकर ही दुनिया में आता है
तो किसी अवैध गर्भ का बाप
यहां खोजा जाता है।
किसी विधवा को यहीं पर
टोनही साबित कर दिया जाता है
गांव की सुन्दर औरत यहीं पर
व्याभिचारिणी घोषित होती है
यही वह जगह है जहां
सास और ननद मिलकर
कुंअें के पास फिसलन पैदा करती हैं
और दहेज की बली वेदी तैयार करती है।
यही कविता कुछ अन्य पंक्तियां जोड़ने पर देखें कैसे रूप बदलकर रोमांचित करती है-
कुंआ
कुंआ हमेशा आबाद रहता है
गांव का हर घर वहां आता है
यदि कोई बीमार हो तो
पता चल जाता है वहां आते ही
किसी की लड़की का ईश्क
यहां पर आकर ही दुनिया में आता है
तो किसी अवैध गर्भ का बाप
यहां खोजा जाता है।
किसी विधवा को यहीं पर
टोनही साबित कर दिया जाता है
गांव की सुन्दर औरत यहीं पर
व्याभिचारिणी घोषित होती है
यही वह जगह है जहां
सास और ननद मिलकर
मुंडेर के पास फिसलन पैदा करती हैं
और दहेज की बली वेदी तैयार करती है।
गांव के कुंअे का साथ देता है
गांव का बरगद।