काव्य-नरेन्द्र यादव

गीत-1

तैंहा छत्तीसगढ़ ला घुमा ले संगी ओकर महिमा गाले
ओकर महिमा गाले संगी ओकर गुण ला गाले
छत्तीसगढ़ के गोठ बोली मा दया के गुण भरेहे.
ओकर ईमान धरम के चिनहा मंदिर घलो बनेके.
बड़े महासागर जैसे यहां नदी और नरवा हाबे.
यहां के बोली वचन घलो हा अमरित कस हाबे.
चारो मुड़ा मा दिखत हाबे छत्तीसगढ़ के महिमा.
रायपुर हाबे महानगर अउ बस्तर हे तीरथ के धाम.
दाई दंतेश्वरी के यहां चलथे अड़बड़ नाम.
ओकर छअयां भुइयां मा करले तीरथ-धाम.
तीरथगढ़ अउ चितरकोट हा सबके मनला भाथे.
कुटुमसर गुफा घलोहा सबला चकित कराथे.
महतारी बनके बैठे है डोगरगढ़ बमलाई.
सबझन ला आशीष देथे रतनपुर महमाई.
तैहा छत्तीसगढ़ ला घुमा ले संगी ओकर महिमा गाले
ओकर महिमा गाले संगी ओकर गुण ला गाले

गीत-2

नदिया, नरवा, डबरा, तरिया.
मोर गंगा के अस्नान जी.
काड़ी कचरा झन फेकव कहिथे
मोर भारत के सियान जी.
साफ सफाई रखव कहिथे
दूषित होवत पानी हा जी
तरह तरह के बीमारी होथे.
जागो कहिथे सियान जी.
सावन, भादों देखे परखे
मोर भारत के सियान जी.
हरा भरा मोर देश रहे
कहिथे मोर सियान जी
नदिया, नरवा, डबरा, तरिया
मोर गंगा के अस्नान जी.

नरेन्द्र कुमार यादव
वृन्दावन कालोनी
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