उंगलबाज-अंक-25

बच्चों की समझ
“भैया! ये नहीं हरे रंग का बल्ब दो।“ उसने अपने हाथ में पकड़ा बल्ब नीचे रख कर कहा। तभी साथ आया बच्चा वो बल्ब उठा कर बोला।
“नहीं अम्मी! ये तो अच्छा बल्ब है। रात को जलाकर सोने पर अच्छा लगेगा।“ कहते हुए बल्ब अपनी जेब में रख लिया।
अम्मी उसकी बालसुलभ बातों से दूर उसकी जेब से बल्ब निकाल कर वापस दुकान के काउंटर पर रख दी। शायद बच्चा भी कसम खा लिया था अपनी अम्मी की तरह इसलिये वह फिर से बल्ब उठाकर जेब मे रख लिया।
दुकानदार ये देखकर मुस्कुराया और बच्चे की अम्मी को बोला।
“अभी ले जाओ भाभी! बच्चे का मन रखने के लिये बाद में वापस कर देना। बच्चा नहीं समझता है लाल और हरे का भेद!“
“सही कहा भैया! अभी छोटा है न!“ कहकर वो बच्चे के हाथ से बल्ब छीन कर काउंटर पर रखी और तेजी से निकल गई।