शोध आलेख-डाॅ कौशलेन्द्र

इमली का ऐतिहासिक पेड़ कहाँ है?

भूमकाल क्रांतिनायक गुण्डाधुर के साथियों को बिना मुकदमा चलाये इमली के जिस पेड़ से लटका कर कैप्टन गेयर के हुक्म से फाँसी दे दी गयी थी, वह कहाँ है ?
इमली का वह पेड़ जगदलपुर के गोलबाजार में आज भी खड़ा है, किंतु….
….किंतु, भूमकाल के क्रांतिकारी डेबरीधुर और माड़िया मांझी को इमली के जिस पेड़ से लटकाकर फ़ाँसी दी गयी थी उस ऐतिहासिक पेड़ के विशाल तने में कुछ कीलें ठोंक कर पॉलीथिन की चादरें तान दी गयी हैं । देश स्वतंत्र है किंतु इमली का ऐतिहासिक वृक्ष बंदीजीवन बिताने के लिये विवश है ।
मुझे भी यह सब पता न चल पाता यदि मैं उस दिन अफ्रीका से आये अपने मित्रों को बड़े गर्व से वह पेड़ दिखाने के लिये मैं जगदलपुर के गोलबाजार न गया होता । वहाँ इमली के बहुत प्राचीन कई वृक्षों को देखकर भ्रमित हुआ । भोर का समय था, आकाश में सिंदूरी सूर्य ने झाँकना प्रारम्भ कर दिया था।
हमने पूरे बाजार को तीन बार छानमारा पर सूचनापट के अभाव में ऐतिहासिक पेड़ को पहचान पाना सम्भव नहीं हो पाया । हमने एक बार फिर प्रयास किया, और गोलबाजार की तंग वीथियों के बीच उस पेड़ के पास गये जिसके चारो ओर एक पक्का चबूतरा बना हुआ था । हमने अनुमान लगाया कि वह ऐतिहासिक वृक्ष यही होना चाहिये । हमने चारो ओर देखा, कहीं कोई शिलालेख या सूचना पट दिखाई नहीं दिया । मुझे अपने विदेशी अतिथियों के सामने लज्जित होना पड़ा । मैंने अनुमान प्रमाण से इमली के उसी बंदी वृक्ष को ऐतिहासिक वृक्ष मानते हुये, ईस्ट-इण्डिया कम्पनी सरकार के अत्याचार के उस गवाह को नमन किया ।
रास्ते भर मैं उदास रहा । हम अपनी ऐतिहासिक स्मृतियों और चिन्हों के प्रति कितने सजग और संवेदनशील हैं? आखि़र हम अपने इतिहास को याद क्यों नहीं रखना चाहते ?

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