काव्य-कल्पना नाग

माँ

जिन्हें मिला मां का स्नेह वे बड़े खुशनसीब
जिन्हें मिला मां का आंचल वे बड़े खुशनसीब
जिन्हें नहीं मिला मां का स्नेह वे बड़े बदनसीब
जिन पर से उठा मां का आंचल वे बड़े बदनसीब
मां की कुर्बानी, किसी ने न जानी
आंचल में है दूध और आंखों में है पानी
न जानी किसी ने, मां की ममता की कहानी
न समझी किसी ने, मां के दुखों की कहानी
नहीं इतना आसान, मां की ममता का कर्ज चुकाना
नहीं इतना आसान, मां के प्यार को भूलाना
सुखों की चादर ओढ़ा, खुद दुखों की चादर ओढ़ती
सात दरिया पार कर बचाती है बच्चों को भंवर से
बच्चों को बचाती है खुद चलकर दहकते अंगार से
सुख-दुख विपदा बाधा में
बच्चों को बचाती है
खुद भूखी रह बच्चों को खिलाती है
प्यासी रह बच्चों को पानी पिलाती है
ठण्ड में खुद तड़प बच्चों को आंचल ओढ़ाती है।


श्रीमती कल्पना नाग
शिव मंदिर वार्ड
ग्राम छिन्दरवाड़ा
छिन्दगढ़ ब्लॉक जिला-सुकमा छ.ग.