लघुकथा-पवन तनय अग्रहरि अद्वितीय

दिया तले अंधेरा

प्रतिदिन सुबह और सांयकाल मंदिर में पूजन करने के बाद पुजारी जी थाली में दीप और प्रसाद लेकर चल देते थे। कुछ लोग सिक्का डालकर प्रसाद लेते थे और कुछ लोग वैसे ही। एक दुकानदार के यहां एक सज्जन बैठे थे। उन्होंने एक का सिक्का थाली में डाला।
‘‘पुजारी जी आप किसे वोट
देंगे ?’’ दुकानदार ने पूछा। ’’जब सब अपनी जाति बिरादरी को देते हैं, तो हम भी अपने जाति बिरादरी को देंगे।’’ पुजारी जी ने गर्व से कहा।
उन सज्जन ने उठकर एक का सिक्का पुजारी जी की थाली से निकाल लिया। विरोध करने पर उनका जवाब था कि जब आपकी ऐसी सोच है तो आप यह कार्य बंद कर दीजिए।’’

पवन तनय अग्रहरि अद्वितीय
पुराना चौक, श्री देववाणी विद्यालय के सामने, शाहगंज
जौनपुर उ.प्र.
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