काव्य-संतोष श्रीवास्तव

तस्वीर

बहुत लोग मिले
जीवन में
मन को बहलाने
गम को,
गले लगाने।
बहुत लोग मिले
सुलगती जिन्दगी को
शीतल समीर देने
डूबती नाव की
पतवार थामने।
बहुत लोग
करने लगे कोशिश
पार पा जाऊं मैं,
उसी हंसी को
बहानों को पाऊं मैं,
पर तुम्हारी एक
तस्वीर ने
सभी को ढहा दिया
अश्रु से मुझे
भिगो दिया।


संतोष श्रीवास्तव ‘सम’
बरदेभाटा, कांकेर
छ.ग.
मो.-9993819429