काव्य-धनेश यादव

आज का गीत


घने जंगलों और पहाड़ों पर
उनका निवास स्थान।
कमर में पटका, माला-मूंदरी,
थोड़ा-सा उनका परिधान।
माटभूमि के रहवासी
पेंदा खेती उनकी पहचान।
निडर, साहसी, मतवाले,
मांदर की थाप पर करते गान।
छोटा-सा संसार उनका,
सरपंच रखता उनकी कमान।
रेलो-रेलो की कोकिल संझा,
इनका प्यारा-सा जहान।
तला-मुत्ते, राव-राहुड़
पग-पग में इनके भगवान।
सिरहा-बैगा इनके डॉक्टर
भले ही जाये जीवित के प्राण।
मरने पर भी गम न करते
और करते सूअर कुर्बान।
बगल में रेडियो, हाथ में घड़ी
बदलते युग का ये फरमान।
हम सुधरेंगे, युग बिगड़ेगा
शायद उनको ये है भान।
किन्तु-परन्तु, लेकिन-वेकिन,
छोड़ो तुम अपना अभियान।
तुम सुधरोगे, आगे बढ़ोगे
तभी बनेगा देश महान।।


धनेश यादव ‘कमलेश’
स्वास्तिक इंजीनियरिंग बखरूपारा,
नारायणपुर जिला-नारायणपुर छ.ग.
मो. 09424286572