बस्तर के गांधी-पद्मश्री धर्मपाल सैनी- पुस्तक का हुआ लोकार्पण

सनत कुमार जैन

11 अक्टूबर 2022

बस्तर के गांधी-पद्मश्री धर्मपाल सैनी- पुस्तक का हुआ लोकार्पण

माता रूक्मिणी सेवा आश्रम डिमरापाल को बस्तर क्षेत्र में कार्य करते हुये 11 अक्टूबर को छियालिस वर्ष हो गये। और आश्रम के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र विशेषकर बालिका शिक्षा के लिये संपूर्ण बस्तर में एक क्रांति की तरह काम किया। आज किसी गांव में जाने पर आश्रम में पढ़ी लिखी किसी बेटी को जानकारी मिलती है कि ताऊजी आये हैं तो वह खुशी से भाव विभोर हो जाती है। और लगभग सभी गांवों में उनकी पढ़ाई बेटियां हैं जो अपने परिवार को सुंदर ढंग से पोषित कर रही हैं।
उपरोक्त वक्तव्य माता रूक्मिणी सेवा आश्रम के छियालिसवें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स के पूर्व अध्यक्ष श्री किशोर पारख ने अपने उद्बोधन में दिया। साथ ही ताऊजी के साथ विभिन्न आंदोलनों और अवसरों में बिताये समय की यादों को ताजा किया। इंद्रावती आंदोलन में इंद्रावती नदी के किनारे ताऊजी के दौड़ दौड़ कर चलने और फिर विभिन्न विषयों पर चर्चाओं का जिक्र किया।
बस्तर की पावन धरा को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले वाले संत पद्मश्री धर्मपाल सैनी के जीवन पर आधारित पुस्तक बस्तर के गांधी पद्मश्री धर्मपाल सैनी का लोकार्पण बस्तर क्षेत्र के साहित्यकारों एवं बुद्विजीवियों के करकमलों से हुआ। इस पुस्तक के लेखक जगदलपुर नगर के सनत कुमार जैन है और यह उनकी छठवीं पुस्तक है।
स्थापना दिवस के अवसर पर आश्रम प्रांगण में आयोजित इस लोकार्पण कार्यक्रम में कोण्डागांव से पधारे अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध डॉ राजाराम त्रिपाठी, रायपुर से वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती किरणलता वैद्य के साथ जगदलपुर नगर के डॉ बी एल झा, श्री बी एन आर नायडू, जयचंद्र जैन, चित्रकार श्री बी एल विश्वकर्मा, समाजसेवी श्री ए एन शाही, श्री किशोर पारख, श्री हरिवेणु जी, माता रूक्मिणी सेवा संस्थान के शिक्षक श्री रघुचंद्र करे जी थे।
नगर के श्रेष्ठ समालोचक श्री हिमांशु शेखर झा ने अपनी समीक्षा में विस्तार से बताया कि पुस्तक को पढ़कर आप ताऊजी के व्यक्तित्व के बारे में सबकुछ जान सकते हैं। पुस्तक को बड़े ही रोचक ढंग से लिखा गया है जिसे बगैर रूके एक ही बैठक में पढ़ने की इच्छा जागृत होती है। उन्होंने इसके लिये लेखक को बधाई दी।
डॉ बी एल झा जी, श्रीमती शैल दुबे, श्री संपत झा, सुश्री उर्मिला आचार्य, श्री नरेन्द्र पाढ़ी श्री हरिवेणु जी एवं श्रीमती खुदेजा खान ने अपने उद्बोधन में ताऊजी के साथ बिताये समय को याद किया।
अनेक पत्रिकाओं के संपादक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने ताऊजी के किये गये कार्यों को पूरे देश की जानकारी में लाने की बात कही। ऐसे संत पुरूष पर लगातार लिखते रहने की आवश्यकता पर जोर दिया।
शिक्षाविद श्री बी एन आर नायडू जी ने ताऊजी के आशीर्वाद से सभी को सफलता मिलने की कामना की तो श्री जयचंद्र जैन जी ने ताऊजी को अपना प्रेरणास्रोत बताया। उनकी ऊर्जा को नमन किया।
रायपुर से आयीं श्रीमती किरणलता वैद्य जी ने कहा कि उन्होंने आज ही ताऊजी के साथ विस्तृत चर्चा कर पूरे वार्तालाप को रिकार्ड कर लिया। यह उनके लिये एक अनमोल संपति है।
समाज कल्याण विभाग की डिप्टी डायरेक्टर श्रीमती वैशाली मरड़वार ने अपने उद्बोधन में कहा कि ताऊजी का प्रेरक जीवन अनेक सामाजिक कार्यों को करने की प्रेरणा देता है। उनकी ऊर्जा को देखकर वो अचंभित हैं।
पुस्तक के लेखक सनत जैन ने मंच संचालन करते हुये बताया कि उनके पास सैनी जी के दो साक्षात्कार थे जिनको पुस्तक का रूप देना था। समस्या यह थी कि पुस्तक पढ़ने में मनोरंजक हो ताकि ताऊजी के सिद्धांतों और उपलब्धियों के संदर्भां को लोग आसानी से आत्मसात कर सकें। इसलिये पुस्तक में ताऊजी के जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं को कहानी का रूप देकर लिखा है।
कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने काव्यपाठ किया। जिनमें से कृष्ण शरण पटेल, श्रीमती चमेली नेताम, श्रीमती अंजली तिवारी, श्रीमती ज्योति चौहान प्रमुख थे। संस्था की दो छात्राएं कु. अंजली मौर्य एवं कु अलीशा ने स्वरचित कविताओं से सबकी तालियां बटोरीं।
कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन संस्था की सचिव श्रीमती प्रेमा पाठक ने किया।
इस कार्यक्रम में नगर के अनेक साहित्यकारों और समाजसेवकों के साथ संस्था के शिक्षकों और छात्राओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।