सुमन शेखर की कवितायेँ

मुझे प्रतीक्षा है

मुझे प्रतीक्षा है
सूरज मेरे भीतर
पसर जाये
और अपनी
रश्मियों से
मिटा डाले अंधेरा।
मेरे भीतर का
अंधेरा छंटता नहीं
न ही खत्म होती है
मेरे भीतर की लड़ाई
कब तक भटकूंगी
मैं इन अंधेरों में
कब आयेगा सूरज
जो मुझे अपने
आगोश में भर लेगा
चूम लेंगी मुझे
उसकी किरणें
और मेरा अंतःकरण
आलोक से भर जायेगा।

घर-दफ्तर

आकाश में टंगे से हैं
शहरों के घर
जहां आंगन नहीं
पिछवाड़ा नहीं
दीवारें ही दीवारें हैं
चारो ओर
ऊंची भव्य
अट्टालिकाओं तक
पहुंचने के लिए
अंतहीन सीढ़ियां!
आंगन और पिछवाड़े के बिना
घर, घर सा नहीं लगता है
एक दफ्तर लगता है।
जहां कुर्सी पर टिके रहते हम
भकने के बावजूद भी
पसार नहीं पाते पांव

सुमन शेखर
नजदीक पेट्रोल पंप
ठाकुरद्वारा, पालमपुरा
जिला-कांगड़ा हि.प्र.
पिन-176102
मो-09418239187