लाला जगदलपुरी-संस्मरण कविता-पूनम वासम

लालाजी को सादर श्रद्धांजली

स्मृतियों का वो धुंधलापन
जब याद आता है मुझको
तो सर्वप्रथम
याद आते हैं आप
वो छोटी-बड़ी बातों को
लेकर घंटों बहस करना
कभी जानकी आंटी के
हाथों का हलवा
तो कभी उपमा का
साथ में स्वाद लेना
एक-एक रूपये के
जुगाड़ से खरीदे गये
मेरे केलों की मिठास
मुझे आज भी
गौरवान्वित होने का
दिलाती है अहसास।
स्मृतियों का वो धुंधलापन
जब याद आता है मुझको
तो सर्व प्रथम
याद आते हैं आप
जब बिना चश्मे के
एक ही सांस में
पढ़ लेते थे
मेरी लिखी हुई
अर्थहीन कविता
कहां पूर्ण विराम
अल्प विराम
कहां मात्रा
और कहां शब्दों
के हेर-फेर का
व्याकरण
सबकुछ/सबकुछ
दिखता था आप को
जो पन्ने पर लिखा
होता और जो
लिखना बाकी होता
मेरे अंदर ही अंदर
स्मृतियों का वो धुंधलापन
जब याद आता है मुझको
तो सर्वप्रथम
याद आते हैं आप।
आप का सानिध्य
मेरे लिए जैसे
टूटते बिखरते
सपनों को
पिरो लेने की माला
पलभर में बहुत कुछ
सीखने की जैसे हो
पाठशाला
खुशकिस्मत हूं मैं
जो आपकी
छत्रछाया में
मैंने कुछ वक्त गुजारा
जसकी अनुभूति
आज भी
मेरे भीतर जीवित है
बिल्कुल वैसे ही
जैसे बस्तर
जीवंत है आपमें
और आप जीवित
हैं हम सब के भीतर….
स्मृतियों का वो धुंधलापन
जब याद आता है मुझको
तो सर्वप्रथम
याद आते हैं आप।
सचमुच आपका जाना
बेहद खलता है….
स्मृतियों का वो धुंधलापन
जब याद आता है मुझको
तो सचमुच
याद आते हैं आप।
बहुत याद आते हैं आप।।

पूनम वासम
बीजापुर
जिला-बीजापुर छ.ग.
मो.-094242492757