लघुकथा-विमल तिवारी

बातों का जादू अपने शहर को छोड़कर मुझे नौकरी के लिए दूसरे शहर आना पड़ा। मां…

विमल तिवारी की लघुकथाएं

याददाश्त गांव छोड़े लगभग तीस साल हो गये थे, प्राथमिक पढ़ाई पूरी कर जो शहर आया…