बचपन सुड़क सुड़क कर गरमा गरम दाल पीते हुए दाल बाफलों का आनंद ले रहे थे..…
Tag: बकुला पारेख
बस्तर पाति कहानी प्रतियोगिता-1, द्वितीय पुरस्कार-बकुला पारेख
काश…! प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व की मंद-मंद चलती हवा, उड़ते हुए पक्षियों की चहचहाहट की…
बचपन सुड़क सुड़क कर गरमा गरम दाल पीते हुए दाल बाफलों का आनंद ले रहे थे..…
काश…! प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व की मंद-मंद चलती हवा, उड़ते हुए पक्षियों की चहचहाहट की…