लघुकथा-उर्मिला आचार्य

इष्ट पूजा


बेटा बड़े मनुहार के बाद आया इष्टपूजा के लिए। ‘’होता’’ परिवार के ठीक सामने मेला भरता था। बेटा रिमोट कार में पहुंचा। लोगों ने उसका तामझाम देखा पर मेला तो गांव वालों के छतर, गुड़ी, पालकी के साथ चल पड़ा, पीछे रह गया ‘’होता’’ का बेटा और उसकी रिमोट कार!
सांप-सीढ़ी
‘मनु’ पढ़ाई में होशियार था। छोटी-मोटी नौकरी पाकर शहर में बस गया। अब जो देखो गांव के लोग पढ़ने, इंटरव्यू देने, इलाज कराने आने-जाने लगे। परिवार की सेवा-सुविधा पाकर उनमें से कुछ बड़े ओहदे तक पहुंच गये।
अब किसी दिन जमीन के काम पर ‘मनु’ सचिवालय पहुंचा तो उन्हीं ओहदेदारों ने उसे पहचाना तक नहीं। मनु ने तो कह दिया सीढ़ी बनकर चढ़े और सांप बनकर डस रहे हो।

भागीरथ प्रयास


सौन्दर्य गर्विता इंद्रावती का हरण जोरा नाला ने कर लिया, बचा-खुचा पानी पॉलीथीन ने हर लिया। इसे देखकर पुराणवाचक के पुत्र ने पूछा-‘‘मां! क्या पॉलीथीन अगतस्य मुनि की तरह हैं जिन्होंने गंगा के प्रवाह को लील लिया था ?’’
’’हां बेटा! नदियों को बचाने के लिए भागीरथ प्रयास जरूरी है।’’ मां का उत्तर था।

भ्रूण परीक्षण


एक दिन हौले से कोई मन का तार तोड़ गया। चेतन अवचेतन झंकृत हो उठा। तन-मन महका प्रेम से। चांद-तारे तोड़ने का वादा रहा। सर्वस्व समर्पण सर्वदा रहा। एक रात तारों की झिलमिल हुई। एक सुबह सूरज ने धूप चटकाई। अमिया खाने को जी मचला। कानों में किसी ने खटास घोला- चलो भ्रूण परीक्षण करा लें!

भ्रष्टाचार उन्मूलन


भ्रष्टाचार उन्मूलन विचार गोष्ठी में भाग लेकर बड़े साहब दफ्तर पहुंचे। सारे कर्मचारियों को समझाईश दी कि कोई भ्रष्टाचार नहीं करेगा। भ्रष्टाचार से देश खोखला हो जाता है। इतने में फोन की घंटी बजी। साहब के पी.ए. ने डरते-डरते कहा-मेमसाब का फोन है। चपरासी को सब्जी बाजार जाने बुला रही हैं। साहब ने सहज ही कहा-भेज दो इसमें पूछने की क्या बात है।


सुश्री उर्मिला आचार्य
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