बस्तर पाति विशिष्ट सम्मान-2016
पदमश्री धर्मपाल सैनी
पद्मश्री धर्मपाल सेनी जी-ताउजी! जी हां ताउजी यही नाम है हमारे आत्मीय बस्तर क्षेत्र के राजदुलारे पद्मश्री धर्मपाल सेनी जी का। ताउजी सचमुच इस क्षेत्र के ताउजी हैं क्योंकि उन्होंने जिस आत्मीयता और प्रेम से इस पिछड़े क्षेत्र की आदिवासी कन्याओं को शिक्षित दीक्षित किया है वह केवल आत्मीयजन ही कर सकता है। ताउजी इस क्षेत्र में उस वक्त से हैं जब यहां शेर भालू यूं ही विचरण करते थे। उन्होंने उस वक्त इस बियावन में अपने शैक्षिक क्रांति की शुरूआत की। उनके इस आंदोलन ने अनेक आदिवासी कन्याओं का भविष्य उज्जवल किया। उन्हें अच्छा जीवन दिया। उन्हें मुख्यधारा में आने का साहस दिया। उनके द्वारा दीक्षित अनेक कन्याओं ने खेलकूद में न जाने कितने पुरस्कार पाये। ताउजी का गांधीवादी जीवन हम सब के लिए एक मिसाल हैं हम सब के लिए एक प्रेरणा है। भारत सरकार ने भी उनके द्वारा किए गये कार्यो को सराहा और उन्हें और सन् 1992 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। इसके बाद उन्हें समाजसेवा के क्षेत्र में अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।
ताउ जी मालवा अंचल में 1930 में जन्मे इंदौर में शिक्षा दीक्षा के बाद अब तक बस्तर की सेवा में लगे हैं। हम इन्हें समाजसेवक के रूप में जानते हैं जबकि ये मूलतः कवि हैं क्योंकि एक संवेदनशील कवि ही समाज की सेवा कर सकता है। प्रचार प्रसार से दूर इन्होंने साहित्य की सेवा की है। कविताओं में आध्यात्म और देशप्रेम इनकी रचनाओं का मूलतत्व है। इनका एक कविता संग्रह ‘आलोक’ शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है। एवं अनेक साझा संग्रह में इनकी कविताओं का प्रकाशन हो चुका है। । वर्तमान में बस्तर संभाग में 37 आश्रमों का संचालन कर रहे हैं मैं इन्हें हमेशा युवा शक्ति मानकर चलता हूं। क्योंकि वे आज भी हम सभी से ज्यादा सक्रिय हैं। साहित्य एवं कला जगदलपुर आपका इस मंच पर हार्दिक अभिनंदन करता है। और आपका सम्मान कर आज स्वयं को गौरवांन्वित समझता है। आज साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर का प्रथम बस्तर पाति विशिष्ट सम्मान आपको दिया जाता है। तालियों से स्वागत करें।