जनाब रऊफ परवेज़ की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद जगदलपुर ने कला एवं साहित्यिक संस्था ‘आकृति’ में वसंत महोत्सव का आयोजन किया. संस्था के सचिव शशांक श्रीधर ने वसंत पर रचना पाठ करते हुए काव्य गोष्ठी का आरंभ किया.
मदनबाण करे अठखेलियां, लजा रहीं देखो सहेलियां,
प्रेयसी के मन प्रियतम अनंत है, वाह सखी क्या बसंत है.
विमल तिवारी ने सरस्वती बंदना के रूप में अपनी रचना पढ़ी-
दे आशीष मां, हर क्षण नवजीवन दे, नये जीवन पथ का अनुपम मार्गदर्शन दे.
एन के यादव ने प्रकृति पर आधारित रचना का पाठ किया-
उज्जवल ज्योति बिखर गई चारो ओर, कूहू कोयलिया कूह उठी चारो ओर.
सुश्री उर्मिला आचार्य ने फागुन पर आधारित कविता पढ़ी-
फागुन की मस्ती में कोयल-चातक बनने का जी करता है, फागुन की मस्ती में गीत गाने का मन करता है.
छत्तीसगढ़ी के रचनाकार डाॅ.चंद्रेश शर्मा ने कविता पढ़ी. एक बानगी देखिए-
मन मयूर नाच उठा, स्वागत बसंत उत्सव है.
सुषमा झा ने भी सुंदर प्रकृति का चित्रण अपनी कविता के माध्यम से किया-
टेसू की कलियों के बीच से बसंत झांक रहा है, बसंत सेमल के फूलों, सरसों के खेतों को पार कर
इस कार्यक्रम में जनाब रऊफ, परवेज़, शांति तिवारी, सुभाष पाण्डे, वसंत चव्हाण, गायत्री आचार्य, प्रीतम कौर, के.आर.तिवारी, भरत कुमार, संस्था के कोषाध्यक्ष सनत जैन ने भी अपनी अपनी रचना सुनाकर बंसत का स्वागत किया.