आइना

अर्ध रात्रि का ज्ञान
पकने का समय कई दिनों से अब तक/लिखने का समय 8.00 पी.एम. से 12.50 ए.एम. दिनांक-5 जुलाई 2021

आइना
लेखक-सनत सागर, संपादक बस्तर पाति, जगदलपुर, छ.ग.

यह कार्टून इंटरनेट के सौजन्य से लिया गया है.

‘ऐसी सत्ता का क्या मतलब! हम जाने कितने रूपये लगा कर चुनाव जीते हैं। करोड़ों का इनवेस्टमेंट है उसकी वापसी के साथ इन पांच वर्षों में कमाना भी है। कबड्डी खेलने के लिये ये तमाशा थोड़ी ही किये हैं।’ तैश में आया कबीर पास की दीवार पर अपना मुक्का मारा।
इस हरकत पर एक चमचा पास आकर उनका हाथ सहलाने लगा। कबीर उसे घूर कर देखा और फिर बोला, ’जब उपरी कमाई नहीं रहेगी न तो तुम जैसे लोग पास भी न फटकेंगे।’
चमचा एक पल को सकपका गया, फिर संभल कर बोला, ’ऐसा न बोलो भैया!’
कबीर उसकी बात पर ध्यान न देकर अपने साथी जनप्रतिनिधियों को कहने लगा।
’क्या जरूरत थी ऐसा बिल लाने की! यानी होटल में रूकने वाला आधार कार्ड देगा और होटल में रूकने वालों का डाटा आधार से लिंक करना होगा। मेरे होटल बिजनेस का क्या होगा। मेरे अरबों के इनवेस्टमेंट का क्या होगा। बैंक लोन कैसे भरा जायेगा।’ खिसियाया सा कबीर कमरे में लगभग दौड़ ही रहा था।
’भैया, एक बात समझ नहीं आयी कि आधार से लिंक होने से क्या फर्क पड़ेगा?’ एक चमचा प्रश्न पूछ लिया, प्रश्न क्या पूछ लिया जले पर मानों नमक मल मल कर लगा दिया।
कबीर ठीक उसी पल रूक गया और उस चमचे को रूक कर ध्यान से देखने लगा। ऐसा लगा कि वह सोच रहा हो कि उसे कहां से खाना शुरू करे।
तभी दूसरे चमचे ने समझा दिया।
’आधार से लिंक होने से दो नंबर की कमाई को एक नंबर कैसे करेंगे! देखो समझो। हमारे कई होटल लॉज हैं। बारह महीनों में लगभग आठ महीने खाली रहते हैं। और हम उसे अपने खाता बही में पूरा भरा हुआ दिखाते हैं। कोई आ कर रूका हो या न हो परन्तु हमारे यहां इंट्री शो करते हैं। यूं समझो अगर सौ रूम हैं हमारे लॉज में और एक रूम का भाड़ा 2500 रूपया है तो एक दिन का भाड़ा होगा ढाई लाख रूपया प्रति दिन का और एक माह का कितना हुआ। पचहत्तर लाख रूपया! हम होटल में अपने रिश्वत, घूस, दो नंबर की कमाई को होटल की इनकम दिखाते थे। उस पर टैक्स भी जमा करते थे। अगर बीस प्रतिशत भ्ी टैक्स है तो साठ लाख रूपया एक नंबर में आ जाता था। ग्राहक आयें या न आयें।’ इतना बता कर वह रूक गया। ये सब सुनकर चमचे का मुंह फैल कर कटोरा बन चुका था।
तभी एकदम से वह अपना मुंह बंद करके कहने लगा, ’तो भैया यही कारण है कि भैया का ’अम्मा बस ट्रेवल्स’ भी धड़ाके से दौड़ रहा है जबकि भैया कि तो बसें ही उतनी नहीं हैं जितनी की परमिट ले रखी है। वहां भी खाली बसों को भरी बता कर दो नंबर को एक नंबर करने की योजना पर काम हो रहा है।’ इतना कहकर मुस्कुराने लगा।
’तू तो बड़ा समझदार निकला रे।’ भैया उसकी ओर घूर कर देखते हुये बोले। तो वह दौड़कर भैया का पैर पड़ लिया।
’भैया, तभी आपकी सरकार ने बस को फुल सवारी मानकर टैक्स लेने का सिस्टम बनाया है न, ताकि आप लोग बस को फुल सवारी दिखा कर काली कमाई को मेहनत की कमाई में बदलते रहें। और जनता को लगे कि सरकार बस वालों को फांसकर जरूरत से ज्यादा टैक्स ले रही है। है कि नहीं भैया ?’ चमचा अपने मुंह को इतना फाड़ लिया कि गुटका खाने से सड़े दांतों के काले धब्बे नजर आने लगे।
’कुछ ज्यादा ही समझदारी की बातें कर रहा है। इसे बाहर करो।’ अबकी बार भैया का साथी जनप्रतिनिधि बोला।
’अरे! कुछ नहीं करेगा, बिना दांत का कुत्ता है ये।’ भैया हंस कर उस चमचे की पीठ पर धौल जमा दिये।
’पर इस आधार को इसी तरह हर जगह लिंक करते गये तो हम जनप्रतिनिधियों का धंधा चौपट हो जायेगा। इसका इलाज जरूरी है। खेती का पैसा भी अब इनमक टैक्स की छूट से हटा दिया गया है। हम अपनी दो नंबर की कमाई को कैसे एक नंबर में बदलें।’
’यहां भी फसल आने भर की नहीं होती थी और भैया जी उस जमीन पर सोसायटी से जीरो परसेंट पर लाखों के लोन लेकर बाजार में जमीन खरीदने में लगाते थे। और छै महीने बाद उस जमीन को बेच कर बैंक लोन को पटा देते थे। और फिर चुनावी बरस में लोन माफी!’
पैग में बरफ डालने के बाद भी बरफ गर्म लगने लगी थी।
’इस आधार से हमारा पर्सनल डाटा चोरी हो रहा है। ये तो जनता की निजता का हनन है। इसका सड़कों पर विरोध करो। कुछ दिनों में ये नहीं खत्म होगा, लंबी लड़ाई है, सैकड़ों दिनों तक लड़नी होगी।’ भैया जी ने सीरियस होकर कहा।
’हां, और होटल बिजनेस को टैक्स में छूट दी जाये पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये। किसानों की इनकम सरकार छीनेगी तो तो उसे गरीब किसानों की हाय लगेगी। ऐसी खबरें लगातार अखबारों में आनी चाहिये। बल्कि अखबार के हर पेज में ऐसी खबरें हों। जनता भावुक होती है वो समझने लगेगी कि वास्तव में ऐसा हो रहा है।’
’पर भैया….’
’क्या..?’
’वो अंधेरा कायम रहे’ और ’झूठी खबर’ अखबार वाले पिछले छह माह का बकाया मांग रहे हैं और कहते छह माह का अब एडवांस भी दो तब हमारी बनायी खबरें चलेंगी।’
’दे दो भाई दे दो, वरना हम सड़क पर आ जायेंगे।’
तभी वो चमचा फिर से बोला, अबकी बार वह एकदम खुश था।
’भैया, एक पते की बात मेरे दिमाग में सूझी है आप कहें तो बताउं।’ वह पूछ कर भैया की ओर देखा, भैया चुप ही रहे तो वह मौन को स्वीकृति मानकर बोला,
’भैया, अपनी टॉकीज में पिछली सुपर हिट फिल्म लगी थी जिसके बारे में अखबारों में खूब छपा था कि 500 करोड़ का बिजनेस की थी वह फिल्म। और आपको बताउं भैया कि उस फिल्म में हमारी टॉकीज में तीस चालीस से ज्यादा लोग कभी नहीं आये, हां, फिल्म लगभग पंद्रह दिनों तक लगी रही। इसका मतलब जिस हीरो को ब्लॉक बस्टर कहते हैं वो भी फिसड्डी ही है। ब्लैक कमाई का ब्लैक चेहरा, टॉकीज में चला नहीं पर वो है सुपर हीरो!!!’