काव्यगोष्ठी
बस्तर पाति के द्वारा आयोजित किये जाने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में दिनांक 21 दिसम्बर को इंद्रावती के तट पर स्थित महादेवघाट पर प्रकृति और काव्य का आनंद लिया गया। अंचल के प्रसिद्ध गजलकार ऋषि शर्मा ऋषि को नई ऊर्जा के साथ स्वरचित ग़ज़लें सुनाते देख सभी चकित थे। श्रीमती मोहिनी ठाकुर की क्षणिकाओं ने मन मोह लिया। शशांक शेण्डे की लालाजी पर आधारित कविता ने जहां आंखें नम कर दी वहीं नरेन्द्र पाढ़ी की हल्बी/भतरी कविता ‘जीवना और काती’ ने लोकबोली के प्रति रूचि जगाई। डा.चंद्रेश शर्मा और नरेन्द्र यादव ने छत्तीसगढ़ी गीतों से मन मोह लिया तो भरत गंगादित्य ने हल्बी गीत से यही प्रभाव डाला। अवधकिशोर शर्मा ने अपनी चिरपरिचित शैली में गोष्ठि का संचालन करते हुए मर्मस्पर्शी क्षणिकाओं से अपनी श्रेष्ठ रचनायें प्रिषत की। सनत जैन के द्वारा लघुकथाओं का पाठ किया गया। अंचल के प्रख्यात कार्टूनिस्ट सुरेश चितेरा द्वारा छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी रचनाओं का पाठ किया गया। विशिष्ट श्रोता के रूप में गायत्री आचार्य और भोला नाहक उपस्थित थे।
अगला आयोजन था नववर्ष की संध्या पर आकृति संस्था में काव्यगोष्ठि! देश के जाने माने चित्रकार श्री रविशंकर राय की अध्यक्षता में गोष्ठि ने अपना रंग जमाया। नववर्ष की शुभकामनाओं के बाद सुरेश चितेरा के कुशल संचालन में विमल तिवारी ने पैरोडी कविता वनवासी,वनवासी काटो नहीं/रूख झाड़ को, सुनाकर गोष्ठि का आगाज किया। क्षेत्र के हल्बी/भतरी के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार नरेन्द्र पाढ़ी ने श्रोताओं की मांग पर जीवना कविता पुनः सुनाई, मय तुमचो जीवना/मय तुमचो काय नसायलीस। सनत जैन द्वारा हास्य कविता मलिका शेरावत के माध्यम से फिल्मी नंगेपन पर कटाक्ष करते हुए सुनाया-टेलर ने गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया/अस्सी सेन्टीमीटर के ब्लाउज पीस से मलिका का पांच जोड़ी सूट बनाया। सुभाष पाण्डे ने क्षणिकाओं के माध्यम से मनमोह लिया। तुम्हारी बस्ती में बम बनाने के कारखाने हैं/मैं जयपुर हूं जहां नकली पैर बनाने के कारखाने हैं-सुनाकर अवधकिशोर शर्मा ने उपस्थित जन को सोचने पर मजबूर कर दिया।रऊफ परवेज जी ने नये साल पर रचनायें सुनाई-जब भी नया साल आता है/मौज मस्ती भी साथ लाता है। कार्यक्रम के अंत में सुरेश चितेरा ने वर्तमान परिवेश पर कटाक्ष किया-कौन यहां किसका है/शंकितकर रिश्ता है/आगे बढ़ने वाला/कदम कदम पिसता है।
कार्यक्रम समाप्ति पर बस्तर क्षेत्र के शिक्षा रत्न डॉ.के.के.झा साहब को याद करते हुए श्रद्धांजली दी गई। कार्यक्रम में अन्य उपस्थित जन थे के.आर.तिवारी, बंशीलाल विश्वकर्मा, वसंत चव्हाण, योगेन्द्र मोतीवाला, डॉ.चंद्रेश शर्मा, नरेन्द्र यादव, जोशी जी एवं भरत गंगादित्य।
उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान का सौहार्द सम्मान रमेश यादव को प्रदान
उत्त्रप्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से साहित्य के क्षेत्र में दिये जाने वाले राष्ट्रीय स्तर के सम्मानों में सन् 2013 का सौहार्द सम्मान मुंबई के लेखक-पत्रकार रमेश यादव को एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। सम्मान के तहत उन्हें शाल, ताम्रपत्र और दो लाख की राशि प्रदान की गई। रमेश यादव जी की कहानियां, कविताएं, लेख एवं अन्य रचनाएं देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। साथ ही उन्होंने स्तंभ लेखन भी किया है। अनुवाद और बाल साहित्य के क्षेत्र में उनका विशेष कार्य है। उनकी चर्चित कृतियों में वैकल्य, बिम्ब-प्रतिबिम्ब, लोकरंग, महक फूल-सा मुस्कराता चल, चिरकणारे पंख (मराठी) इत्यादि का समावेश है।हिन्दी और मराठी दोनों भाषाओं में लेखन, अनुवाद के साथ-साथ स्वतंत्र पत्रकार के रूप में भी यादवजी सक्रिय हैं। महाराष्ट्र की लोककलाओं पर अध्ययन के लिए उन्हें संस्कृति मंत्रालय और संगीत नाटक अकादमी से शोध अनुदान तथा उनकी तीन कृतियों को महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त है। महाराष्ट्र सरकार के गुणवंत कामगार पुरस्कार से सम्मानित यादव जी सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े हैं। महाराष्ट्र में प्रसिद्ध व्याख्यानमाला के आयोजन में भी वे सक्रिय हैं।
लखनऊ स्थित संस्थान के यशपाल सभागृह में संपन्न इस समारोह में देश के वरिष्ठ साहित्यकार दूधनाथसिंह, ममता कालिया, पुन्नीसिंह, विभूतिनारायण राय, डॉ. दिविक रमेश, प्रेम जनमेजय जैसे कई प्रमुख साहित्यकारों को राष्ट्रिय सम्मान से नवाजा गया साथ ही राज्य के विधा पुरस्कारों का भी वितरण किया गया। इस अवसर पर सांसद और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि साहित्यकारों का सम्मान राष्ट्रीय कार्य है। साहित्य और संस्कृति की प्रगति के बगैर किसी भी राज्य और राष्ट्र की प्रगति अधूरी है। इसी सोच के तहत हमने अपने राज्य में बंद किये गये पुरस्कारों को पुनः नये सिरे से स्थापित किया है। समारोह में संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह, निदेशक डॉ. सुधाकर अदीब, मंत्री राजेन्द्र चौधरी, संपादक अनिल मिश्र इत्यादि मान्यवर लोग उपस्थित थे। शाम को राज्य सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेशसिंह ने अपने निवास पर पुरस्कृत साहित्यकारों के लिए प्रीतिभोज का आयोजन किया था।