खामोशी के साथ
कोहरे की बुक्कल मारे हुए
सूरज का मखौल उड़ाता
बर्फीले नाले में खड़ा
वह बच्चा
‘झूम बराबर झूम’
गुनगुनाता
तलाश रहा है कचरा।
चार से छह साल के
बच्चों का समूह
विकास भवन के
कुड़ेदानों से
तलाश रहा है
दीमक लगे फाइलकवर
मिठाई के खाली डिब्बे।
कहीं भी
कैसी भी
गंदगी हो
सितारवादक-सी
सधी उंगलियों से ये
तलाश लेते हैं
शेयर बाजार के सूचकांक
और प्रधानमंत्री की घोषणा से
कोई सरोकार नहीं रखते हैं ये
कबाड़ी से
परचून की दुकान तक
सिमटी होती है
इनकी दुनिया।
कभी नहीं बनते हैं ये
अरूंधती राय के
विमर्शों का विषय
देखते ही देखते
बचपन से बुढ़ापे की ओर
चल पड़ते हैं
इनके कदम।
मीडिया की भी
सुर्खियों में
नहीं रहते हैं ये
बस,
धरती को
साफ-सुथरा करते रहते हैं
खामोशी के साथ।
मनु स्वामी
46-अहाता औलिया,
मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)-251002
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